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________________ बात बगसीरांमजी प्रोहित हीरांकी * श्रीगणेशाय नमः * अथ बात बमसीरामजी प्रोहित होरांको लिष्यते सोरठा- डसण ऐक सुंडाल, बरदायक रिधसिध-बरण । विद्या बयण बिसाल, आपीजै अषिर उकत ।। १ गाथा चोसर- डसण येक गजमुंष लंबोदर, धरणी कनकमुकट फरसीधर । पीतंबर सोभा तन वुपर, बिनायक दायेक विद्या बर ।। २ दोहा- चाहत चातुर अधिकचित, लेषत सुणत लुभात । जथा अनुक्रम सम जुगत, वरणुं अद्भुत बात ।। ३ अथ उदय्यापूरको बरनन कुंडलिय्या- उदिय्यापुरकी छब अधिक, संपति नगर समाज, घर घर परजा लषपती, राणों भीम सुराज ॥ राणों भीम सुराज, तपोबल रंगसं, सगता चुंडा साथ, लियां दल संगसु॥ उजल कोट उत्तंग, इसी बिधि वोपियां, जाण क लंकाकोट, कनकमय जोपिया ॥ ४ दरवाजा बणिया दुगम, कोना लोहकपाट । एक एकतै पागला, थटै सुभटां थाट ॥ थटै सुभटां थाट अनोषा थाहरां, नरनायेक बलबीर पछाड़े नाहरां । किरमाला जुध कीध अरिंदां कालसा, जाण क क्रोध अभंग जुटै जम जालसा ॥ ५ वजै ब्रमक धौंसर बजै, नोबति सबद निराट । मदमत षंभ ठाण मय, थX गयंदां थाट ॥ थटै गयंदां 'थाट' क फोजां थाहणा, बणे तुरंगा बाल मृगाटां बाहणां । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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