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________________ [ ६० ] विषय पृष्ठाङ्क का 'देवगढ़' से राजा चंद को 'अंभो नगरी' जाना, देववशात् वहां की राजकुमारी के साथ उसका विवाह होना । . १८९व सांवली (चील) रूप में प्राती हुई रजपूतानियों के भय से रुद्रदेव का मूछित होना, राजकुमारी द्वारा मूर्छा का कारण जानना तथा 'बाज' रूप नेवरों द्वारा रजपूतानियों का हनन, जादू से त्रस्त रुद्रदेव का महल से चुपचाप भाग निकलना, राजा चंच द्वारा उसकी तलाश कर उससे भय का कारण जानना। १६०वा ५. राजा चंद द्वारा रुद्रदेव के समक्ष प्राप-बीती कहानी का उपक्रम, चंद को अपनी माता एवं रानी के साथ गिरनगरी' के राजा का अवैध सम्बन्ध तथा जादुई चमत्कार का पता चलना, गिरनगरी की राजकुमारी प्रेमलाल. छी के साथ राजा चंद का असंभावित विवाह । १६१-१९२ ६. रानी (परभावती) द्वारा राजा चंद को सूबा बना कर गुप्त स्थान में रखना, प्रेमलालछी द्वारा बराती किन्तु बनावटी पति को महल से बहिष्कृत कर स्थानापन्न किन्तु असली पति (चंद) की तलाश में तीर्थ के बहाने 'अंभो नगरी' जाना। १६३-१९४ ७. नगरी की रानी एवं उसकी सास द्वारा स्वागतार्थ समाहूत प्रेमलालछी का महल में पहुंचना, चतुर दासियों द्वारा पिञ्जरवद्ध शुक (चंद) को महल से पार करना, प्रेमलालछी द्वारा शुकरूप चंद को स्वस्थ कर उसे अपना परिचय-दान, सास-बहू का चीलरूप धर कर चंद को नेत्रहीन बनाने का प्रसफल यन, प्रेमलालछो द्वारा सास-बहू का हनन, चंद का अपने दामाद रुद्रदेव को प्राश्वस्त कर उसे अपने पास यथासुख बसाना। १९५-१९६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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