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विषय
पृष्ठाङ्क
करना, शिवलाल का जसां के विवाह-सम्बन्धी कार्य सूवे को सौंप कर कलकत्ता जाना, सूवे का मयाराम के पास जसां का पत्र लेकर भांड्यावास जाना और वहाँ से विवाह का निश्चयपत्र लेकर वापस जसा के पास प्राना।
१६६-१६७ ३. बारात का सज-धज के साथ अलवर पहुँचना, जसा द्वारा मालकी दासी को
अगवानी के लिये मयाराम के पास भेजना, वार्तालाप के साथ मालकी द्वारा मयाराम को तोरण-द्वार पर लाना, बारात को सज-धज का वर्णन, जसाँ-मयाराम-विवाह, मयाराम के डेरे पर जाती हुई जसा का सौन्दर्य
वर्णन, मयाराम-जसाँ-मिलन, मालू-मयाराम का हास्य-विलास । १६८-१७३ ४. लाधै ब्राह्मण द्वारा प्रेषित दुहे को पढ़ कर मयाराम की 'मुरधर' की ओर
जाने की तय्यारी, मालू एवं जसा द्वारा उसे वहीं रोके रखने का प्रयास करना, मयाराम का जसा पर नाराज होना।
१७४-१७५ ५. मालू एवं सहेलियों द्वारा मयाराम को मदविह्वल बना कर उसके मारवाड़
जाने का विचार स्थगित कराना तथा उसे रंग-विलास में लीन करना, वर्षाऋतुवर्णन।
१७६-१८० ६. मयाराम का जां पर पुन: नाराज होना, मालू दासी का बीच-बचाव के
दौरान मयाराम से वाद-विवाद, मालू द्वारा जसाँ के रूपगुण-वर्णन के साथ वर्षा तथा बाग का वर्णन, जसाँ एवं मालू का मयाराम से अलवर छोड़ कर न जाने का आग्रह ।
१८१-१८५
५. राजा चंद-प्रेमलालछीरी वात
१. 'राजपुर' ग्रामवासी रुद्रदेव रजपूत एवं उसकी दोनों पत्नियों का परिचय,
पत्नियों के ऐन्द्रजालिक चरित्र से भीत रुद्रदेव का नौकरी के बहाने प्रामान्तरगमन विचार।
१८६-१८७ २. रहस्यवित् पत्नियों द्वारा पाथेय (भाषा) के रूप में अभिमन्त्रित लड्डू देकर
रुद्रदेव को विदा करना, रुद्रदेव का किसी तालाब के तट पर रुकना तथा वहां उपस्थित याचक ढोली को भोजनार्थ लड्डू-बान, लड्डू के खाते ही होली का गधा बन कर 'राजपुर गांव पहुंचना, रजपूतानियों द्वारा मंत्रबल से गधे को पुनः ढोली बनाना तथा स्वयं को घोड़ी बना कर रुद्रदेव का पीछा करना।
१८मा ३. रुद्रदेव का 'देवगढ़' पहुँच कर एक अहीरणी के घर पर शरण लेना, अही
रणी का नाहर-रूप देख कर रजपूतानियों का पलायन, भयचकित रुद्रदेव
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