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________________ [ ५८ ] ३. वात नागजी-नागवन्ती री विषय पृष्ठाङ्क १. दुष्काल से पीडित प्रजा के साथ कच्छ के स्वामी जाखड़े अहीर का राजा .. घोलवाला के देश 'बागड़' में जाकर बसना। १४५-१४६ २. भाटियों का 'बागड़' पर आक्रमण, धोलवाला के राजकुमार नागजी द्वारा भाटियों का दमन, तथा खेत में रह कर अपनी खेती का संरक्षण एवं नागजी के लिये उसकी भाभी परिमलदे द्वारा प्रतिदिन वहाँ जाकर भोजन पहुंचाना। १४६-१४७ ३. खेत में परिमलदे द्वारा जाखड़े अहीर की राजकुमारी नागवन्ती का नागजी के साथ गान्धर्व विवाह कराना एवं नागजी का नागवन्ती से विदा लेकर पुनः गढ दाखिल होना। १४८-१५० ४, नागजी-नागवन्ती के प्रेम सम्बन्ध का धोलवाला को ज्ञात होना, विरही नागजी की अस्वस्थता का नागवन्ती के संकेत से वैद्य द्वारा उपचार करना, नागजी-नागवन्ती का एकान्त में पुनः संगम देख कर धोलवाले द्वारा नागजी का देश-निर्वासन । १५१-१५४ ५. नागजी का परिमलदे द्वारा संकेतित बाग में ३ दिन तक ठहरना, नागवन्ती को देश-निर्वासन का पता चलना, नागवन्ती का हाकड़े पड़िहार के साथ विवाह, मण्डप में नागवन्ती का परिमलदे के साथ सम्मिलित स्त्रीवेष धारी नागजी से साक्षात्कार होना तथा नागजी का बाग में पुन: प्राकर ठहरना। १५५-१५७ ६. नागवन्ती का चंवरी से उठ कर आधी रात को बाग की ओर भागना, वहाँ माले पर कटारी खाकर मरे हुए नागजी को देख कर उसका अत्यन्त विलाप करना, वहाँ से धोलवाला एवं जाखड़े द्वारा नागवन्ती को पुनः घर पर लाकर उसे हाकड़े के साथ विदा करना। १५८-१६२ ७. मार्ग में नागजी के शव को देख कर नागवन्ती का रथ से उतरना एवं नागजी को अपनी गोद में बैठा कर चिता में प्रवेश करना, बारात का गमन, महादेव और पार्वती के प्रसाद से पुनर्जीवित नागजी का नागवन्ती के साथ पुनः नगर में प्रवेश, वात का उपसंहार । ४. वात दरजी मयाराम की १. मंगलाचरणानंतर वात का उपक्रम तथा मयाराम एवं जसां को पूर्वभववर्णन के साथ वर्तमान परिचय । १६४-१५५ २. अलवर निवासी शिवलाल कायस्थ द्वारा रामबगस-नामक सूवे को खरीद कर उसे अपनी पुत्री जसा के पास रखना, सूवे द्वारा जसा के पूर्वभव का वर्णन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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