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________________ की १२. रसाबु [ रसालु द्वारा मृत शरीरों को प्राप्त करना, उनको नदी पर ले जाना, धोबी श्रौर धोबिन से मिलना, धोबी की कहानी, राजा का उसका मित्र बन जाना, उसके दुःख और शक्ति का ह्रास अटक की बुद्धिमती स्त्रियां, राजा होदी के भाई, खेड़ीमूर्ति पर आक्रमण, धोबी का संदेश और भविष्यवाणी, खेड़ी मूर्ति का घेरा, रसालु का शाप, युद्ध, रसालु की मृत्यु, सन्देश ] [ ४४ ] मृत्यु : 'मयाराम दर्जी की बात' की एक अन्य विशिष्ट प्रति इस संस्थान में प्राप्त हुई है । उसका मन्थन करने पर ऐसा प्रतीत हुआ है कि जो वार्ता इस संस्करण में मुद्रित हुई है वह अपूर्ण है । अतः इस वार्ता का शेषांश और मुद्रित संस्करण की अपेक्षा इस प्रति में जो अधिक दोहे प्राप्त हैं, वे यहाँ पाठकों की जानकारी के लिये दिये जा रहे है : जांगण समजण वध जुगत, सषरापण सागेह | श्राडू ही दासी अबै, एक जसीयल श्राह ॥ १६ ॥ १६ के बाद ' ग्रहणा भब भबे गजब, पाग फबै सिर पेछ । उगतडौ सूरज अबै देष दबै दस देस ||३१|| ३१ के बाद तेल पटां कसीयल तरह, रसीयल लाग रहंत । वसीयल हीय असीयल वनौ, जसीयल बाट जोत ||३४|| ३३ के बाद 3 वै है | यण तरै का वीदराजा मयराम चवरीनूं आवै है, पेमरा पयाला नेत्रा सूं पावे है बिलकुल तो ग्रलवेलो गूमरांमं करतीयों रा ब्रकामै चंदौ जिम जोय जोय हेली घूम घूम रंग में कहै है। " मदरूप च (छ) क जावै है । सहेली इम गावै है ॥ ५०॥ गावे उभू गायणी, नरर्षे उभी नार । मद-चकीया म्यारांम रो, इंद्र जिसी उणीयार ॥५१॥ ४८ के बाद Jain Education International मां सूष यम म्यारजी, दूलहो जसीयल देह | दनकर तीन ससरम्न दष, धण धती पीउ मेह || ६४ || ५६ के बाद १. यहाँ पर सभी जगह मुद्रित संस्करण की पद्यसंख्या के बाद यह समझनी चाहिए । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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