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३. रसालु का पुनरागमन :
[ मक्का की यात्रा, हज़रत द्वारा स्वागत, मुसलमान-धर्म में परिवर्तन, सियालकोट से समाचारों का आना, दीवारों का गिरना और मनुष्यों का बलिदान, जबीरों द्वारा हज़रत को अपील, सियालकोट पर आक्रमण, नगर पर अधिकार, सलवान की मृत्यु और रसालु का राज्यारोहण ]
४. राजा रसालु और मीर शिकारी :
[ रसालु की दक्षिण यात्रा, जंगल में मीर शिकारी से भेंट, मीर शिकारी का रसालु का शिष्य बन जाना, रसालु की शर्तें, मीर शिकारी और उसकी रानी, उसके द्वारा प्रतिज्ञाभंग, मृग और मृगी की कथा, मीर शिकारी की मृत्यु, मीर शिकारी की पत्नी का रसालु से दुर्व्यवहार, मीर शिकारी की मृत्यु का दोषारोपण, रसालु की मुक्ति, मीर शिकारी का अन्तिम संस्कार और स्मारक
५. राजा रसालु और हंस :
[ रसालु का एक नगर में प्रवेश, रसालु द्वारा तीस मील ऊँचा बारण चलाना, दो कौवों की कथा, उनका आकाश में उड़ कर वापस आना, हंस के घोंसले में शरण लेना, नर-काक द्वारा धोखा दिया जाना, राजा भोज का न्याय, रसालु और गीदड़ की कथा, रसालु और भोज, गीदड़ की मित्रता, हंसों और कौवों को वापस बुलाना, रसालु की बुद्धिमानो ]
६. राजा रसालु और राजा भोज :
[ रसालु की यात्रा विलम्बित, उसका प्रस्थान, भोज का साथ चलना, उनका वार्तालाप, रानी शोभा के बाग में पराक्रम दिखलाना, उनका श्राम्रवृक्ष के नीचे ठहरना, राजा होम का आगमन, उसकी कविता, रसालु की बुद्धिमानी, रसालु और भोज दोनों मित्रों का बिछुड़ना ]
७. राजा रसालु और गण्डगढ़ के राक्षस :
[ रसालु का स्वप्न, उसका पराक्रम के लिए प्रस्थान, ऊजड़ नगर और वृद्धा, वृद्धा की विपत्ति, राक्षस का भोग, रसालु और वृद्धा का पुत्र, रसालु और थीरा, थीरा और भींवूं का पलायन, दूसरे राक्षसों से मुठभेड़, राक्षसी से टक्कर, राक्षसराज वैकलबाथ, भींवू और थीरा का दुर्भाग्य, थोरा का विलाप, गण्डगढ़ पर्वत में कैद, गण्डगढ़ की चीत्कार, रसालु के तीर ]
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