________________
[ ४१ ] यहाँ सम्पादित कथानों के वैशिष्टय पर डॉ० श्रीनारायणसिंहजी भाटी ने भूमिका में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला है ; अत: इनके वैशिष्टय के बारे में चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है।
प्रसन्नता का विषय है कि सम्पादकीय लिखते समय कुछ विशेषज्ञातव्य संदर्भ भी प्राप्त हुए हैं वे यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
'बगसीरांम प्रोहित हीरां की बात' का रचियता 'तेण' कवि है या अन्य कोई, निश्चित रूप से नहीं कह सकते ! 'कबी तेण इण विध कहो' (पृ० ४६) से तेण का अर्थ 'कर्ता' भी माना जा सकता है और तेण का अर्थ 'उसने' भी। यहाँ 'तेण' शब्द यदि नामवाचक है तो इसे इस वार्ता का प्रणेता मान सकते हैं अन्यथा कर्ता का प्रश्न शोध का ही विषय है।
प्रस्तुत पुस्तक में राजा रसालु की बात के दो संस्करण मुद्रित हैं :-१. राजस्थानी-रूप है और २. गुजराती-रूप है। इस वार्ता का एक अंग्रेजी संस्करण भी रेवरेण्ड चार्ल्स स्विन्नरटन (Rev. Charles Swynnerton) लिखित 'दी एडवंचर्स ऑफ दी पंजाब हीरो राजा रसालु' के नाम से डब्ल्यू. न्यूमेन एण्ड कम्पनी लिमिटेड, ४, डलहोजी स्क्वायर, कलकत्ता के प्रकाशक द्वारा सन् १८८४ में प्रकाशित हुआ है । चार्ल्स स्विन्नरटन उस समय रॉयल एशियाटिक सोसायटी, फोकलोर सोसायटी तथा एशियाटिक सोसायटी, बंगाल के सदस्य थे। स्विन्नरटन ने यह गीतात्मक कथा 'सरफ' नामक लोकगायक से सुनी थी। इस गायक का चित्र भी इसमें प्रकाशित है। ___आंग्लभाषा के संस्करण और इस संस्करण की कथाओं में कहीं वार्ता का तारतम्य एक-सा नज़र आता है तो कहीं बहुत ज्यादा अंतर दृष्टिगोचर होता है। अतः तुलनात्मक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी संस्करण के १२ अध्यायों का क्रमशः संक्षिप्त रूप (अनुक्रम) यहाँ उद्धृत कर रहे हैं जिससे कि शोधविद्वान् इसका समालोचनात्मक अध्ययन कर सकें। १. रसालु का प्रारम्भिक जीवन :
[ राजा सलवान और उसकी दो रानियाँ, रसालु के बड़े भाई पूरण भगत का चरित्र और उसकी भविष्यवाणी, रसालु का जन्म और बाल्यकाल, प्रतिबन्ध से मुक्ति, उसका नटखटपन और देशनिष्कासन, लूणा माता का विलाप ] २. रसालु की प्रथम विजय :
[गुजरात की यात्रा, झेलम की राजकुमारी के विरुद्ध अभियान, तिला के साधु का चमत्कार, साधु की भविष्यवाणी ]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org