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परिशिष्ट ३ विसरा-वसरी चोसरा, अमला करडी ताण । सेझा रंग पलांणीयां, अमला किया पिछांण ॥-११६-२५० वेषालू मन वीषयो, मूरष हासो होय।। नाणे सोई सूजाण नर, अवर न जाणे कोय ।। -५१-३ वंका लोहण लोइसा, कटि कबांण कसि षंग।। सेझ समूद पर नाव ज्यू, तीरता चले तुरंग ॥ -११६-२४८ ध्यापारी ज्यू वटाउडा, बालव ज्यू बिणजार ।। लवीया लोथ पड़ी रही, कागा कुचरे पार॥-१०६-१९८ वरी चौथा बावला।
-१७८-७
श्रीमहाराजा जाणज्यो, सूरां एह संताप। सिर उपर रूठा फिर, त्यांन केहा पाप ॥ -१२६-२८२
संग सहेलो पीउ तणो, दुहिलो विछडवार थे। पोउ'र प्रक्षर जीभथी, नहीं छूटसी नार बे॥ -६३-३६ सजन प्रांबा मोरीया, आई पास करेह । न्यु ज्यु अषणे संभलं, त्यु त्यु कंपै वेह ।। -१५६-५२ सजन चंदन बावन, ऐलं कूकारेह ।। न्यु ज्यु श्रवणे संभलु, त्यु त्यु कंपै देह ॥ -१५६-५४ सजन दुरजन हुय चले, सयणा सीख करेह । घण विलपंती यु कहै, मांबा साख भरेह ।। -१५१-१६ सत कोषो ने साहबण, हिंदु तुरक समान । जस षाटी जालम तणो, जलण पर्यो ए प्राण ॥ -११०.२०५ सरवर निरमल नीरज, भरीयो हंसा केल। पागा फूली सूगीधीयां, पास बले बहु मेल || -१११-२१४ सरवर पाय पषालतां, तेरी पायडली षस जाय। हुं थने पुछु गोरड़ी, थने क्युं कर रयण धीहाय ।।–१३३-७१ सरवर पाय पषालतां, मोरी पायलड़ी षस जाय। अंबर तारा गीणतां थका, यु मोकुं रयण वोहाय ।। -१३३-७२ साची वैरी सोलमो, रस बरसाये राग ! -१७८-६२ साजनीयां सं प्यार, कठे वसा दोसौ नहीं। मिलता सो-सो वार, नैणां ही सांसो पड्यौ ॥ -१५४-२६ सारंग वैरी सातमां, मीठा गावै मोर। -१७८-८८ साली मो मन माहरी, मँडी रांड भडाण। तो सरसी धाली बरस, देषी लोह पडाह ।। -११०-२०६
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