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परिशिष्ट ३
रंडी राजो मां हुई, कुंमर थकी कर मे दिनांमी र राई, नार देई तुझ
ल
(ज) hint astut लक्षी, कारी लगी न लाष बात चालू नहीं, टालूं नह मन तापसी बालक और नूप, त्रिया हठ है छै लाष समाणप कोड बुध, कर देषो सब प्रणहंणी हुंणी नहीं, होणी हुवे सु लाषां बातां लाडला, मांणो महिल हिवडे नवसर हार भ्यू, लेस्यां लाडा थां वण लागसी, मानं बारां लांबक-बक लाडली
कंठ
लुलुहीयारो हार |
बांबा लोर ।
व
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कूड ।
धूड ॥ - ११०-२०४
मारग
को
काय ।। - १७२ ८२
टेक ।
येक ।। – ४६-३५३ कोय |
पार्थ
होय ।। - १४५ - २
मनाय ।
भुगते
सोय ।
जोय ।। - ५१-२
लेष विधाता जि लोया, तोमहीज सुगण नरां मन जाणज्यो, वात तणो रस लोभी देषौ लोयेणा, ऐमी नज़र भरि ऐम । मुष बांणी बोले मधुर, प्रीतम करि हित प्रेम ।। - ४७-३६४
लगाय ।। – ४७ - ३६५
मेल ॥
- १७४-६५
- १७० नी०
- १७७-४ गीत
दीठो कुंवरजी 1
कीया पारा वंण । aout त्रियाको वेस, श्रावत जातो दुनीया देख, नाटक कर गयो नागजी ।। - १५७-४० aari नाक विराजीयो च (छ) व कीर चचारां । - १७१ - नो० चरवा शेत पावस करे, नदीयां पलके नीर |
तिण विरीयां सूंकलीणीयां, धणीया स्यूं धर्यो सीर ।। - ११५-२२६
बीज ।। - १७८०८६
चोर बे 1
दोर बे ॥ ६६-२४
वरसालों बेरी वू ( हू ) श्रो, वैरण दूजी atri महिला मानवी साहूकार के वरत ही छीपतो फोरे, ढांढो गमायो के वाडी मेहलां प्रादमी. साह अछे किनू चोर बे । रूष छोपाय पयूं रह्यों, ढोलो हूवो जू हौर बे ॥ - ८६ १०६ वादल काले बीजली, पर्व भली विधना तुं तो घावली, किसका ले रोतो सामी चालीयो, पाटण विडगांरा पाषाण, दोडतणां बेडातारा बांण, जाण न
कर षांत ॥-१७३-५३ किसकूं देय बे ।
लेय ।। - १११-२११ दोषजे ।
जेलीयां ॥ -
-१७८-८६
- १८५-१४३
- १६७-२८
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