________________
१४२ ]
बात रीसालूरी
उतरयौ । देषे तो पाप जोगी सूतो छ । तदी रीसालुजी कह्यो-बाबाजी ! नमो नारायण । कह्यो-बाबाजी माधो प्राव ।
रोसालु वाक्यं दहा- रे बाबा तुं जोगीमा, दीसो बोहोत सुंग्यांन दे। तुम हो कीधा व्याल दो (हो) सो दिषाडो मुझ बे ॥ ७०
जोगीवाक्यं दूहा- थे छो राजा बहुगुणा, क्या त्यो मेरा अंत बे।
देसां देसां भमता फीरो, कीधा ऐता सरब बे ॥ ७१ वात- तदि कुंवरजी कह्यो-थे तमासो कोधो सो मोने दीपावो। तदी जोगी जॉण्योप्रो राजा चकोर छै, कला माहरी दीठी छै। जदी जोगीऐ मादल्यो माथामांथी काढयौ, माहथी लोगाई काढी। तदी लोगाईनै राजा कहै-तु जणीथी राजी होवै तीणने काढ, में तोने उपगार करस्यां । तदी लुगाई साथल माहेथी जुवानने काढ्यो। जदी रीसालु कह्योप्रणथी राजी है। जदी उण कह्यो--आप कहो जिम । जदी जोगीनै रीसालु कह्यौ--प्रा असत्री थां जोगी नहीं। जदो को-माहाराज । जदी लुगाई नवाने दीधी। जोगीने प्रापरी असत्री दोधी । हाथ पांणी कुढचौँ । वले घणा त्रीना-चरीत्र दोठा । __ हजार सातरो माल पगे मेल्यो। माताने गैहणो जडावरो दीधी। बैननै सरपाव ईकतीस दोधा। सगलांने संतोष्या, पोष्या, राजी कीधा । महलांमै जायने पोढया । असत्री संघात काम, भोग, संजोग घणा कीधा। सवेरै नणद भोजाई मोल्या । नणद भोजाईन नोद प्रावती देषनै कह्यौ -
नणदवाक्यं दूहा- नयण थारा भुभला, दोसै छै बहू नीद बे। ___ रजनी सहू वह गईं, तो ही न धाप्या तेह बे ॥ ७२
भोजाईवाक्यं दूहा- थारो वीरो बहुबली, तीम अरूजण बांण बे।
रयणी वात बहू गई, ईण वोध राता नैण बे ॥७३ वारता- तदी नणद कहवा लागी--पुरषरो ऐहवो जोवन होवै छ, थे प्राजी ज जांणो छो। पिण एक दोन दादोजी सकार गया था। सो मग उछेरयो। ईतरै समदै घोडे चढ्या था। सो घोडो पाछै दोधो तीतरै मृग अलोप हूवो। अतरायकमै पटा झरतो, मद छकतो, मेहनी पर गाजतो, घटानी पर कालो, ईस्यो हाथी भाई सामो प्रायो। तदी भाई मनमै वीचारयो-पाछो फरूं तो अमरावांम हासी होसी। तदि हसतीरै दंतुसले जायनै हाथ घाल्यो। दंतुसल काढेने उरा लीधा। माथा माहे झाटको । हाथी मुवो। उमराम वषाण कीधोमाहाराज ! भाईरो बल ईसो छ।
अतर वसंत रीत प्राइं । वनासपती, सगली फलवान लागी। वड, पीपल, प्रांबा, प्रांबली, दाडाम, सहतुत, बोलसरी, प्रासापालव, केवड़ा, केतकी, पाडल, चंपो, मोगरो, जाय सदा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org