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बात रीसालरी
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वात-- आप रावलारै मुढे जाय उभा रहा । उमरावनि सीष दीधी--प्राप डेरा करो, कमर बोलो, उतारो करो। उमराव मुंजरो करेने पाप-प्रापणे ठीकाण गया। रसालुजी मैहलां माहे गया, माताजीर पग लागा । पाप बैनसु मील्या । बेहनै उवारणा लोधा । माउ कहवा लागा-बेटा ! अतरा दीनां माहे कोई कागद-समाचार अतरां वरसांमै कोई मेल्या नहीं।
माउवाक्यं दूहा- बेटा तु सुलषणो, ज्यां सरवर तु देष बे। तुम विना हूं हरी बंधवा, जल विनां ज्यु मछी बे ॥ ६५
बेटावाक्यं दूहा- मातामै मोलवा तणो, घणो ज कोधो चंत बे। अब तुम चरणे लागस्यां, सफल फल्या वंछत बे ।। ६६
बैनीवाक्यं दूहा- बीरा तु सुलषणो, गयो कुंण प्रत देस बे। ल्याया सौ कहो मुने, मे छां ताहरी बैन बे ॥ ६७
कुंवरजीवाक्यं दूहा- सुण बाई वीरो कहै, मै गमा समुद्रं पार बे। घणा तमासा देषीया, देष्या त्रीमा चीरत बे॥६८
बैनवाक दूहा- सुण बीरा बैनी कहै, कुलवंती ते होय बे ।
त्रीया चीरत्र जाण नही, जो आवै सूर ईद्र बे ॥ ६६ वारता-माउ, बैन कवा लागी-वीरा ! थे कोणी कोणी देस गया, (कुण कुण देस गया) कुण कुण तमासा देष्या, कतुहल देष्या, देष्यो होवै सो मां प्रागै सगला कहो।
जदि रोसालु केहवा लागा–बाई ! मे समुद्र परै राजा अंगजीत छ, तीणरी बेटी परण्यो, सौ मेलने उरा प्राव्या। पछै राजा भोजरी बेटी परण्या। पछै राजा मानरी बेटी परण्यां, ते मेले प्राया। प्रा कन्या परणे ल्याया सो पतीव्रता छ। उणीरा तो लषण पातला, मां जुगती नहीं, तणीथी परी मेली। तद बाई केहण लागी-वीरा ! उणीमै कांई अवगुण दोठो। तदि प्राप कहै-हू परणेने पाछौ फीरयौ जदि ऐक सैहरमै उजड दीठो । तिणीम मे मेलि थी, जणीम मे रहा। सवेरै हूं सीकार जातो। तदि हठीमल पातसाह मृगर वांस ऊ पाव्यो। राणी म्हैलांमै थी, देष्यो। तदी मै जांण्यौ । उणने में परो मारयो। ईतर एक सीन्यासी मारा मेहलां नीचे गौरष जगायो। जदि मे उणीने षांणो दीयो । हूं गोषमै बैठो थो। जत्र जोगीऐ माथामथी मांदलीयो काढयौ । तणीमथी लुगाई काढी । तणीने षांणो दीधो । दोई जणा रमे, षेले नै जोगी सुता, लुगाई बैठी थी। तणी साथलम्हैथी बतीस वरसको जुवान काढयो तणीने षांणो दीधो। तणीसु भोग-वीलास गाढो कियो। करे ने पाछौ साथलभ मेल्यो । जदि जोगी जांण्यो (ग्यो) । प्रतरो तमासो रोसालुजी दीठो । देषन प्राय नीचो
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