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बात रीसालूरी
[ १४३ भेटे चरण सूषी थवं, करू वधावा कोड।
[चरणाम] ? करू वधामणा, एक हुंबेकर जोड ॥ ३४० ६५. वार्ता-इसी चोठी लीषनै प्रधानरै हाथे दीधी। प्रधान चीठी लेने माहाराजने दीधी, सारी हकीकत कही । तराजाजी चीठी बिड षोलने वाची। साराहीने अचंभी नै घुस्याली हुई। हिवै राजा समस्तजी सहर सीणगारीयो । कुंवररै वास्तै वधांमणा कीया । घणा षूसी थका राजाजीतूं पूत्र मील्या । घणा वधायनै माहै लीया । माता-पितासं मील्या । सारा ही सहरमै हर्ष, मंगलाचार हुवा । मातारो बोलीयो कुंवर कायम कीयो IC Dदुहा- राज पाट सह विलसतौ, लिषमीकै भंडार बै।
रांणी पांच भली परणीयौ, रंभारे अवतार बे ॥ ३४१
वसंत, वदाम, बीजोरा असी भातरा अनेक भातरा रूप पालव्या छ। तणी समै राजाजी नषेसु सीष मांगें ने नवलषा वागमै सघला राजलोकमै पधारया। रिसालुजी तठे तंबु षडा कीधा। रावल्या तंबु षडा कीधा । वसंत रीत प्रावी ।
कुंवरजीवाक्यं दूहा- अब वसन्त ही प्रावही, फल्या प्रांब अनार बे।।
तसके कारण कुंवरजी, चाल्या सहैरकै बार बे ॥ ७४ दूहा- ज्यांह नवलषा या (वा) ग है, भांत भांतका रूष बे।
तीहां है बगला नवनवा, चोबाराकी मोज बे ॥ ७५ दूहा- तीहां के बचा अती भला, नल छुटे भरपुर बे।
केसरको चोकी कीयां, रमै तीयांक संग बे॥७६ दूहा- रांणी सहू साथ लोयां, षेले आप वसंत बे। __ मुठी हाथ गुलाबकी, नांर्ष माहोमाह बे॥७७ दूहा- रात दीवस तोहां (ही) रहे, नही जाण ससी-सुर बे।
सुरगलोक म्रतलोगम, जांण सहै ज मुज (सुर) बे॥७८ ___ वात- वागमै रमे, षेले नै घणा बीन तांई रहेने पाछा सैहरमै पाया। कुंवरजीरे दोय बेटा हूवा । घणा दीन ताई कुंवर पदवी भोगवी । पछै पाटै बैठा। सगल देसै प्राण-दांण चलाई। दुसमण सघला प्राय मील्या । कंवर पधारया। अमरावांन घणा बधारचा; उणांने मोटा कीधा। तीणांने सीरपाव दीधा, घोडा हाथीनी पट दीधा, उमराव कीधा । प्रतापीक राजा हूवो, साहसीक हूंघो परनारी सहोदर, प्रदूषरो कातरो।
दूहा- भागवान अरू साहसी, रावां हंदा राव बे।
मन वांछ [त] सहू फल्या, फल्या मन जगोस बे ।। ७६ वारता-सुबै राज पाले छै । देवतांनी परै सुंष भोगवै छै । ईद्रनी परै रोध दीसै छै । न्यायवंत राजा वीक्रमादीतनी पर माहान्याअवंत हूवो । अकल, रूंपना धणी । असी तरै राजा न्याअवंत राज पालै छ । सहू लोक धन धन करै छै । घणा षटदरसणरो प्रतीपाल हूवो।
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