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बात रीसासूरी दूहा- धन धन मातारो नेहडो, धन धन पाले जेह बे।
धन धन पोउं धन प्यारीयां, धन धन कंवर सनेह बे ॥ ३२४' माय बाप लीया तिहां, विरह घूराया निसांण बे।
एहवा पाहुणा डा (ई) सदा, भल प्राज्यौ भगवान बे ॥ ३२५२ ६१. वार्ता-इसा विलास, विरह, मिलाप साराहीसू करने कुंवरजी नगारो देनै चढिया सो धारावती नगरी अाया। प्रायने बरस पांच तांई रह्या । वलै वसती घणी वसाई। तठे माहादेवजीरो सेवावजीनूं कहीयौश्रीमाहाराज जोगेसराज ! प्रो रीसालू कुंवर प्रापरी घणी भगत कीवी छ सो इणन कांइ क देवो । त? श्रीमाहादेवजी वोलीया-रे कुंवर ! संतुष्टमान हवा; मांगै सौ हि ज देवां । तठे कंबरजी बोलीयो-श्रीमाहादेवजी माहाराज ! आप तूठा छो तौ प्रा नगरी सारी ही वस जावै; अागली हुती, तिणसू सवाई हुई जावै नै म्हारै सवा लाष फौजरो वाधैपो हुवै; इतरी वीध मोनै दिरावौ। तठै श्रीमाहादेवजी बोलीया-तु चावै सौ सारी ही विध हुय जासी । इतरो हुकम लैन कुवरजी घरे प्राया। हिवै कितरा इक दिननै प्रातरै रांणीरै गर्भ रहो । नव महीना पूरण हूवाथी पूत्र हुवौ। तिरणरो नाम रतनसीह दीयौ । दूहा- सूरज किरण ज्यू तन झिमै, सूदर फूल गुलाब बे।
रतनसिंह नामै षरौ, दीधौ नाम सूलाब.ब ॥ ३२६४
ख. वारता- तरे भोज राजा प्राछो मोहरत जोय बेटीन सीष दोधी । घणो दतू-डायचो, घोडा, हाथीदल, कटक देइ प्रोझणो पोहचाया।
ग. तदि राजा भोज बेटीरो चलाववारो महरत पुछयौ । तदि राजाने पांडतां भलो मोहूरथ दोधो । तदि राजारी बेटी चलाई । घोडा, हाथी, रथ, पायक देने चलाई भली भांतसु पोहचाया। ___ ङ. तद राजा भोज मौरत पूछौ । बेटी साथै घणा कटकदल देने डाइचो दे चलाया नै भली तरसू पोहचाया।
१. २. दोनों दूहे ख, ग, ङ. प्रतियों में नहीं हैं। . ३. ९१वीं वार्ताके स्थान पर निम्न गद्यांश ही ख. ग. ङ. प्रतियों में प्राप्त है
ख. रसालुजी घोडे असवार होय सघलाइसौं मोल श्रीपुरनगर सारु वीदा हुआ।
ग. तदि [रोसालु] चाल्या चाल्या धोरावास नगर पाया । उठे जाऐ वरस पांच रह्या । उठ नगर वसायो । उणी रांणोरे बेटो हूवो छ। रतनसाह नाम दोधो।
3. चाल्या चाल्या धारावती नगरी गया । उठे बरस पांच रया नै नगर वसायो। रांणीर बेटौ हुवौ । तिणरो रतनसिंघ नाम दोधौ ।
४. यह दूहा ख. ग. ऊ. में नहीं है।
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