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________________ १३२ ] बात रीसालूरी ८४. वार्ता-इसा दूहा राजा भोजजी कहीया। कुंवरजी [रो घणो मन द्रढ हवो, स्याली हुई। राजा भोज नवा सिरपाव कराया । भलाकडा मोती निजर-निछरावला कीवी।। दूहा- लोक करत बधामरणा, घर घर मंगल माल बे। नगर गली घर नोबती, बाजै ठोर बे बाल बे ।। ३०३१ हर्ष तणी गत होय रहि, नगर लोक ले पेस बे। पूरमे रलीयायत घरणी, सकल नमावत सीस बे ॥ ३०४२ वंदी जम छोडावीया, के पंषी मग माल बे । नर-नारि पासीस दे, जीवो कोडीक काल बे।। ३०५३ भलाई पधारयां कमरजी, भलो हवो दिन आज बे । प्रास्यां बंधी कामनी, ताका सूधरया काज बे ॥ ३०६४ प्राज सूरज भल उगीयो, हुवै बूठा मेह बे।। नीजीवत हुवा जीवता, भवला बंधीया नेह बे ।। ३०७५ भलाई पीयारो नेहडो, नोहचो फलीयो नार बे। कोड वरस राजस करो, सूष विलस्यो प्रण पार बे ॥ ३०८६ *८५. वार्ता-हिवै नगररा लोकां प्रासीसां सूथरो दीवी। साराहीसू कुवरजी मांन कर-करनै मोल्या । नगरमे पडोहे वाजीयौ। हर्षरा वधावा-गीत १. २. ३. ४. ५. ६. ख. ग. ङ. प्रतियोंमें इन छहों दूहोंके स्थान पर निम्न दूहे ही प्राप्त हैंख. दुहा- लोक करे वधांमणा, घर घर मंगलच्यार थे । नगर सह को यु कहे, भले पाया कुंवर रसालु बे ॥ ६० नगर चोहटे नोसरया, सहु को नमावे सीस बे।। नर नारी प्रासीस द्य, जीवो कोर वरीस बे ॥ ७० साहूकारवाक्यं दूहा- लोक करै वधांम[णा], घर घर मंगलचार बे । सहू मील लोक ईयु कहै, आयो कुंवर रोसालु बे ॥ ५६ सेठवाक्यं दूहा- नगर चोहट नोसरचौ, सहु नमावै सीस बे। नर नारी प्रासीस दे, जीवो कोड वरीस बे।। ५७ दूहा- लोक करै वधांमणां, घर घर मंगलाच्यार बै। ___ बंधी जन छोडि दीया, के पंषी मग माल बै। नर नारी प्रासीस दे, जीवो कौडी बरोस बै ॥ ६४ *-*. चिह्नान्तर्वर्ती ८५, ८६, ८७ एवं ८८वीं वार्तामोंके गद्य-पद्यांशका वाक्यविन्यास ख. ग. ङ. प्रतियोंमें इस प्रकार मिलता है ङ.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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