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बात रीसालूरो
[ १३१ दूहा- श्री माहाराजा भोजजी, तांहरो जमाई अबार बे।
आयो जीवतदांनमें, दीधो कुंवरी उतार बे ॥ २६४ राजन रूडा होयज्यो, सीषा सारा काज बे।
बाजी परमेसर षरी, राषि दोन्यारी लाज बे ।। २६५ ८३. वार्ता-इसा समाचार श्रीमाहाराजा भोजजी सांभलने पूसी हवा; घणी वधाईयां वाटी । इतरै उम्रावासं मोलीया थका श्रीमाहाराजारे सभामे पाया, मजरो को यो । राजा भोज घणी मनवार कुंवरजीने दीनी । भली भांत सं बांहा पसाव कीया । ग्राछी विछात विराजीया । कुशल-कुशल पूछीया । कुवरजी प्रापरी वीती वात सारी देसोटा धूरा-धूरा कही । राजा भोज घणी धीरप देवी नै दूहो कहै छैदूहा- पूत्र पितारा हुकममे, जे रहे जगमै जोय बे।
ते सारोसो जग इणै, वले न वीजो कोय बे ॥ २६६ पाछो बोलो वोलडा, वाद कर रीसाय बे। ते सूता पितुं अलषामणो, होय सदा दुषदाय बे ।। २६७ जेसा पूत्र ज्यू वाल्हा, जेसा अवर न कोय बे।। पिण जग मावीता तणौ, सूषमे दुष को जोय बे॥ २६८ भली वूरी माइत तनी, नवि कीजै देषे पूत्र बे। पूठत मावीतथी, ते सफू जाणे सूत्र बे ॥ २६६ पूत्र ईसा जगमें हुवै, माइत तरणा मंजूर बे। रहै सदा मूष पागल, नही अलगा नही दुर बे ॥ ३०० प्रेम विडांणा पारषा, जगके मोह अकथ बे। कर जोडि पितुं पागले, रहैं सदाई साथ बे ॥ ३०१ ज्यू पितुं जपे तुं षरो, कालो गोरो कथ बे। तेहबो हुकम चढाईये, सीस सदा समरथ बे ॥ ३०२
मेल्यो, सात कैरी को झुबको पाइयो । सारा रजाबंध हवा राजा भोजरै जमाई रीसालु प्राध्या।
___ ङ. वारता-रीसालं इसो रांणी। मुषथी साभलीने घणा रजाबंध हवा, प्रा असत्री सूषलोणी छ, घणु जोग्य छ । तद कुमरी कयो । सात केरीरो झूबको एकण कवांणीयासू पाडो तो षरा । तरे सर्व लोक देषतां सर नांष्यो। तरे सात केरीरो झूबषो पागणे पाय पडौ। राजा प्रजा सर्व राजी हुवा । राजा भोज सांभल्यो, जमाइ प्रायो।
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