________________
११८ ]
बात रोसालूरी [दूहा- मांटी सूतौ छौडन, जावे षेलरण नार बे।
पर-रसभीनी कामणी, ते हई जगमे षराब बे ।। २३८ मौ सरसौ पीउडौ मील्यौ, छोड नै हेत सूनार बे । प्राधीनी सषावस झरै, तो ही रण डरपी लीगार बे ॥ २३६ नारी नहीं का प्रापरी, पूठ पराई थाय बे। जो हित तन-मन दीजता, पिण न पतिजै जाय बे ।। २४० पूरष भला गहिला थई, राषै भरौसौ नार थे । कदेही अपणी नहीं हुई, नारी जग निरधार बे।। २४१ सो कोसां सजन वस, दस कौसां हुवै नार बे। तो नारी तेहने झूरे, पीउरी न जांण पूकार बे ॥ २४२ प्रासू लूधी सेरगरी, धरणीयण पास लिगार बे। गौठ पराई राचवै, जीवत छंडे लार बे ।। २४३ धणी सासती नारी नही, सेणा सहिल अपार बे।
प्रेम गहैली रणनै, पापै तन घ (ध)नसार बे ।। २४४ ६७. वार्ता-इसा दुहा कुंवरजी मनमे कह्या ने चरीत्र जोवै छ । तीतरा मांहै सूनार बोलीयौ-आज अभागने थाहरै धणी कठासू आयौ ? प्रांपरा सनेहमे अंतरास घाली । त? कुंवरी बोलो-पोउड़ा, उण वेईमानने याद मत करो न आवार रंगरी वीरीयांमे याद करणौ नही। पिण आप जमैं षातर राषौ, दायउपाय करनें आपरो मजरो मोडो-वेगो साझ जासं । त, कुंवरजी सूणनै प्र(घ)णा षूसी हूवा । स्याबास है, इसी अस्त्रीयां हुवै तद मांझ हाथे प्रावै ।]
ध. तदी रांणी सुनारकै घरे गई। पाछासु रसालु गयो । थोडोसो मेह वरसै छै । राणी सनारनै हेलो पाड्यौ; सुनारको कोवाड छोलेयौ । रांणी माहै गई । सुनार उठे ने पावडीकी दीधी । राणी कह्यौ-राजार जमाई प्रायौ थी, तीणनै सुवाणन प्राई छु । तद राणी-सुनार माहौ-माहै हस-रमै छै; संसारसु लाहौनो लीधौ । ____ . रीसालु पिण हाथाहै ढाल-काण लेने राणी पूठे चालीया जावै छै। राणी तो सोनारकै घरै गइ; किवाड कुटोयो । तद सोनार वैटाने काइ कहै छै
सोनारवाक्यंदूहा- उठो कुमार सोनारका, भीजै राजकुमार वै ।
राजा रुसै तौ गांव लै, नही तर घोडा च्यार वै। ४७ वारता-तिवारे किवाड पोल्यो। माहै गइ । सोनार सूतौ थो, सो ऊठन पगरी दोधी नै कयो-इतरी मोडी क्यु प्राइ? रीसालूरी वात सांभली । तद कुमरी कयो-प्राज राजार जमाइ प्रायो, तिणने सूवाडा नै प्राइ छु । च्यार पोहर सूती रही; परभात होण लागौ तद रीसालून ऊघ पाई, तिवारे ह ाइ छु ।
[-] कोष्ठगत पाठ ख. ग. घ. इ. प्रतियोंमें अनुपलब्ध है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org