________________
बात रीसालूरी
[ ११९ [दूहा- एक छोडी दूजी छोडस्यां, तोजी करस्यां त्यार बे।
___काई क नारी सूगणली, परष लहैस्यां सार बे ॥ २४५
६८. वार्ता-इसो मनसोवो कुंवरजी कीयो । ने सूनार नै कुवरो घणा रंगमै वेठा छ। दूहा- पीउ प्यारी पीउ प्यारडी, मच रही मांझल रात ।
सेणा सेण चपेलीया, कसबी करीयां वात ।। २४६ कंच कस्यौ दिल हथ कीयो, मीलीयो तन सोनार । जांरण केलना पान पर, कपूर ढुल्यौ नीरधार ॥ २४७ वंका लोइण लोइसा, कटि कबाण कसि षंम(ग)। सेझ समद पर नाव ज्यू, तीरता चले तुरंग ॥ २४८ आडा कसीया कामनी, नैरण-सरासर देत । घा(धा)वा मचोया घोलीया, सैण सवादि लेत ॥ २४६ विसरा-वसरी चोसरा, अमला करडी तारण । सेझा रंग पलांणीयां, अमलां किया पिछांण ॥ २५० नारी ना-ना मूष रटै, बिमरणो वधै सनेह !
आरणे चंदन रूषडै, नाग[ण] लपटी देह ।। २५१] A६९. वार्ता-इसा रंग-विलास मच रह्या छ । हाको-हाक लाग रही छै । सूरंमतो पोहर पक्की हुई । तठे कुकडारा सा(ना)द हूवा । दूहा- कूकड कुंकू कहुकीया, झल्लरो ठाकुर द्वार बे ।
साद सूंण्या चेतन हूई, झागी कुंवरी सार बे ।। २५२ अहो अहौ रैणी वीगती, पूह पेहली हुई एह वे। किण विध जांसू मूझ घरे, नवला टुटने नेह वे ॥ २५३A
[-] कोष्ठान्तर्वर्ती अंश ख. ग. घ. ङ. प्रतियोंमें अप्राप्त है। A-A चिन्हगत अंश के स्थानमें ख. ग. घ. ङ. प्रतियों में केवल निम्नांश ही प्राप्त हैख. प्रभातरो समो हुनो । तर रांणी सोनार प्रते काई कहे छ। रांणीवाक्यं दुहो। ग. सुनारकाने राणी कांई कहै । दुहा-। घ. अतरै प्रभात हूवौ । राणी कह्यौ-परभात स्वौ । ङ. हम फैर कुमरी काइ कहै छै । कुमरवाक्यं । वहा- । ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org