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________________ बात रीसालूरी [११७ ६४. वार्ता- इण भांतसू कुंवरजीरो अस्त्री चितवती, प्रापरो सेण 'जात सूनार रीणधवलनांमै' तीत (ण)री हवेली जाय नै सवा लाषरो मुंदरो हाथरा अंगूठामांहिसं काढनै फैकीयौ; सो चोक विचालै जाय पडीयौ। तिणरा गुघरा वाज्या । तसै सूनाररों बाप जागीयो । त, बेटानै जागावा जाय ने ही कहै छैहा- उठीयौ कंवर वीवालवा, भीजै राजकंवार बे। राजा रूठेगो गांव लै, नही तर घोडी त्यार बे ।। २३६ ६५. वार्ता- इसौ कहतां प्रांणनाथ सनाररो बेटो जागीयो ने कीवाड षोलने कंवरीरे लातरी दीवी ने बोलीयौ--कुंतरी रांड ! वरषा रीतरी रात माहै मोडी आई; सो वले किसां मांटियांने रीझावणने गई थी। तठे कुवरी हाथ जोडनै बोली-साहिबजादा ! इतरो कोप मती करो, कांई करू ? आज मांहरो षांवंद पायौ, तिणस्प रवस पडी थी। उण दईमारया नीद आई देष ने वेगी आई छ । मारो जोर लागौ हतो, वेगी पावती; पिण इण बातसूअटकी रही। तठे सूनार कंवरीने माहे लीवी। हा- झिरमीर झिरमीर वरसीयो, मेह भलो तिण रात बे। भीना कपडा नीचोइ सों, करवा बेठा वात बे।। २३७ ६६. वार्ता- ही सूनार ने कुवरी रंग विलासमे मंगन हुवा छै; ने कुंवरजी किवाडरी इंदलो षांग(प)दैनें (स)नाररा महीलरे पसवासै जाय विराजीया छै; सारा ही चरीत्र देष छै; मनमै जाणे छै-देषो, लूगाया चरित्र, जीव ठीकानै कदे ही रहै नहो IA रांणीवाक्यं दुहो- उठो उठो कुवर सोनारका, कांइ भोजे राजकुमार बे। राजा रुठो तो गांम ल्ये, उठो घोडा च्यार बे ।। ५२ वारता-रांणी इसो कहीयो । तरे सोनाररे बेटे उठने कमाड षोल्यो। रांणी माहे गई। पागे सोनार सुतो हतो । सो उठने रांणीरा माथामे पावडीरी दीधी ने फेर कहीयो-इतरी मोडी क्यु प्राई ? तरे सोनारनु कहे-प्राज प्रापणा सहीरमे राजारो जमाइ प्रायो छ। सो तिणनु सुवाड ने पाई छु; तीण वास्ते ढोल हुई। रसालु बारे उभो सारी वात सुणी । होवे रसालु छांने बेठा छ । राणीइं सोनार साथे सुष-वीलास करतां रात्र सुषे गुदारी। ___ग, रोसालु ढाल-तरवार संभाये नै पुठे हुप्रो । रांणी सोनारकै घर गई छै; कमाउक दिधी। राजकुंवरी सुनाररा बेटाने कांई कहै दुहा- उठो कुवर सुनारका, भोज राजकुवार बे। राजा रूस तो गाम लै, नही तो घोडांरो माल बे ॥ ४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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