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बात रीसालूरी दहा- हठमल मोलज्यो साहिबा, बहला म रहज्यौ दूर बे।
पाई अगन प्रजालने, लहज्यौ हित भरपूर बे ।। २०२ प्रगन सरण ताहरो करू', माहरो पीउ मोलाय बे ।
साहिब साषी मांहरो, साथ दीज्यौ संभाय बे ।। २०३ ५४. वार्ता-इसा दुहा कहिने परमेसररो नाम ले ने 'हो हठमल ! थांरो साथ बेगा हुयज्यौ, इसो कहीने चहीमे पडी, राम सरण हुई। तठे सांमीजी सीनांन कर ने तुंबी भरने पाछा आया । तठे राणीनै चेहमे बलती दीठी। तठे सांमीजी कहै-- दूहा- रंडी राजी ना हुई, कुंमर थकी कर कूड बे।
मे विदनामी रच गई, नार देई तुझ धूड बे ।। २०४ सत कीधो ने साह बण, हिंदु-तुरक समांन बे। जस षाटी जालमतरणौ, जलण धरचौ ए प्रांण बे ।। २०५ रंडी भंडी ते करी, मांण मूकायो मोह बे । षार दीयौ मूझ छातीयां, भली करी मुझ दोह बे।। २०६ तो सरसी नार तणा, षेलतरणा मन खेल बे। प्राणतणा पासा ढल्या, में मत कोधा मेल बे ॥ २०७ कांमण कारीगरतणी, कामरण केथ पडेह बे। सात कीयो सासें गई, भलो दिषायो नैह बे ॥ २०६ साली मो मन माहरी, भंडी रांड भडारण बे। तो सरसी वाली वरस, देषी लोह थडांह बै ॥ २०६
५५ वार्ता--इसा दुहा सांमीजी रांणोने वलतीने सूणाया; पिण ज्यां राज्यांस मन वेधीया तेके दूजी तथ न जाण । हिव रांणी हठमल लारे सत की धो] सो बल भस्म हुई । सामीजीने दो वडा साल हुवा । सो घणो वोषास करवा लागा, पिण गरज काई सरे नहि ।
अगन लगाई । राणीइ हठमल पुठे सत कोधो। प्रतीत रोवतो पाछो गयो-जा रंडी, तेरा बुरा हुइंगा .
ग, आग ल्यायौ । लाकडा सलगाया नै राणी माहे बेठी। लाकडा लगाया, हठीमल साथै सत कोधो।
घ. तदी रांणी छाती-माया कुट नै हठमल वांस सत कीधौ। इ. पछै चेहै चुगी में रांणी चेहै माहै बैठो हठमल पातसाह साथै बली, सत कीधो ।
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