________________
बात रीसालूरी
[ १११ दूहा- एक गई दूजी गई, हिव तीजी की मेल बे।
नारी नही का प्रापरी, कुंडी जगमैं केल ब ।। २१० विधना तुं तो वावली किसका ले किसके देस(य) बे। रोतो सांमी चालीयो, पाटण मारग लेय बे ॥ २११ . नारी न जाण्यौ प्रापरी, जगनें न संणी कोय बे।
मूणस मरावे हाथ सू, पाछैतूं सती होय बे ।। २१२] A५६. वार्ता-इसो सांमीजी सोच करता पाटण गया। कांइ क मंढोकी वसती लेने गज करवा लागा।
हिवै रीसालं कुंवरजी मारग चालीया जाय छै । कठेइ क वस्तीमे रहै छै; कठेइ क रोहीमे रहै छै । साहसीकपणे रेहै छैश्लोक:-उद्यमं साहसं धीर्य बलं बूधी पराक्रमं ।
षडेते जस्य विद्यते तस्य देवोपि संकते ॥ २१३ ५७ वार्ता-तठे कवरजीने हालतांन मास क हवो छ। तठे राजा मानरो नगर आणंदपूर नांमे, तिण नगररे सरोवर आयो। सेहरसू नेडा छै; वडो पिणघट छै । वांसली पोहर रातरासू पीणघट सरू हुव छै; सो दोय घडी रात जावै, जठा ताई वाहबो कर छै । इसी पोठ पीणघट री छ। बले सरोवर दोला वाग छ। भली हरीयाल वाडोयांरी चांरू फेंर छ । वडी आडारा कडषां उपर भला नीला रुष-दरषत सोभे छै। दूहा- सरवर निरमल नीरडै भरीयो हंसा केल बे ।
वागां फली सूगीधीयां, वास वलै वहु मेल बे ।। २१४ सोभा मानसरोवरां, जिम वण रहोयो तलाव बे।।
घोडो प्रांब अटकावीयो, पाणी पोवरण प्राव बे ॥ २१५ ५८ वार्ता-इण भातसू कुंवरजो पांणी पीवै छै । तठ पोणहारियां साथे राजा मानरो बेटो सोनारो घडो ने जाडावरो इंढोणी लीयां थकां तिण सरोवर चाली पाबै । त, रीसालूजी आपरा बागांरी चाल उपर लेह लागी देषन तिण पांणीसू धोवण लागा छ । इतरे पणिहारी तलावम आई । सारा ही कुंवरजी ___A-A. चिन्हान्तर्गत ५६, ५७, ५८वीं वार्तामों के गद्य-पद्यात्मक अंश का पाठान्तर ख. ग. घ. ऊ. में निम्नगद्यांश के रूप में प्राप्त है___ ख. होवे रसालु कोतरेके दोने राजा मानरे प्राहुरणा गया। तलाव उपर गया। घोडो चंपारे गोढे बांधीयो । कपडा धोया। स्नान संपाडा कीधा । कुवरजी पाग बांधे छ । इतरे राजा मानरी कुवरी सहेलियां साथे पाणी भरवा पाई । सो रसालुने देषने पांणीरो घडी नषसु भरवा बेठी, रसालु सामो जोवती रहे, पीण रसालु जोवे नहीं । तद कुमरीवाक्यं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org