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________________ बात रीसालरी [१७ सूवावाक्यं' पंच पंषेरू सात सूवटा, नव तीतर दस मोर बे। राजा रीसालूरा मेहलमै , चोरी कर गयां चोर बे ॥ १४८ रीसालूवाक्य चोर इहां कुंण प्रावीयो, एहवो इंहां कुण सूर बे। साच कहै रे सूवटा, मत बोलेजे कूर बे ॥ १४६१० सूवावाक्यं १ अंहो अंहो कुंवरजी रीसालूवा, मे नही वोलां झूठ बे। म्है पिंजरारा वासिया, सो किम मंदिर पूठ बै ।। १५०१२ [३५. वार्ता-त, कुंवरजी मनमै वीचारीयो-सूवी-मेंणा पिंजरमै हुता; सो सूवौ महिला उपरे बेठो; तिणरो कारण काईक तो छै? इसी विचारनै कुंवर मेहलो चढिया। तठे सारा हि चरित्र दीठा । सेझ रूदोली, विछाता सल दीठा, पांनारां पिक ठांमर दीठा । तठे रांणीने जगायनै कुंवरजी पूछ छदूहा- प्राज मेहिल पाछौं वरणो, पर हथ लीधो लूट बै। साचौ कहै बै सूचटौ, रांणी कहो पर पूठ बे ॥ १५१ स्यू कोधो रांगी एहवो, चारित्र सलुगा नैरण बे।। लट काली नारी कहौ, साच कहो मोरी सैरण बै ॥ १५२ ३६. वार्ता-है राणी! सूवै वात कही, सौ साची के कुडी ? तठे राणी विचारीयों-इण सूवौ हरांमषोर मारा चरित्र कुमरजी- कहिया दिसै छै; पिण माहरा चरित्र आगै कुवरजी कठै पूगसी, कठा ताई साच कढावसी ? इसो विचारनै कुवरजीने रांणो कहै छै-] १ ख. सुकवाक्यं दुहो। ग. घ. दुहो। २. ख. पांच । ३. ४. ग. घ. उड गया। ५. ग. घ. दस । ६. ग. ल. दोय। ७. ख. राजा रसालुरे मालीये । ग. घ. रीसालु हंदा धवलहर। ८. ग. घ. कोई चोरी। ६. १०.११. १२. ख. ग. घ. में अनुपलब्ध हैं । [-]. ख. ग. घ. प्रतियों में केवल निम्न वाक्य ही प्राप्त हैं ख. वारता-रसालु सुवटारा इसा वचन सुण ने रांणीने कहे-जुउं रांणी ! सुबटो काई कहे छे ? रांणी कहै ग. वारता-ऐस्यो त्रीभाव सुंण ने रीसालुं रांणीने काई कहे-रांणी ! सुवो काई कहै छ ? तदी कह्यौ घ. वारता - तवी रसालु कहै-रांणी ! सुवौ काई कहै. छ ? तदी रांणी कहै Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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