________________
बात रीसालूरी
[ ६१
पातसाहवाक्या मे हठीया छं हठमला, हठ पातसाह मैरा नाम बे । अमृत-वेली में चरू, जो सोर जावै तौ जाय वै ।। ११६
रांणीवाक्य अमृतवेली जो चरौ, तौ धरस्यौ ईहा सीस बे।। तब प्रावौ इरण मेहलमे, जीवन विस्वा वीस बै ॥ ११७ सुंण हो साहीब हठमला, सूरी हंदा काम वे । कायर षडग न बावसी, रकरण दैसी दाम बे ॥ ११८ सूरा पूरा सौ हुसौ, पासी तै मैहल मझार बे। साई सोसने दोय नै, पावो मेहल अटार बे॥ ११९ हठमल मन काठौ करो, मौह्यौ रूप सनेह बे। चंढवा लागौ चूंपसू, पर त्रिय जोडव नि(ने)ह ब ।। १२० एक षंड चढ दूसरे, तीजै षंडै जाय ब । सातमै चढनै बोलीयौ, थोडासा पाणी पाय वै ॥ १२१ म्हे परदेसी दोसावरा, प्राया ताली जाय बे । नानासी नाजक गोरडी, थोडासा पाणी पाय वै ॥ १२२ रांरगी झारी भर लेई, सीतल पाछी नीर वै। प्रबल सूगंधा सांमूडी, उभी प्राय नै तीर बं ॥ १२३ झारी हठमल हाथ ले, पारणी पीवन हाथ ब । झूकीयो सूगरणीरकां चूवै(भ्र वै), जाणै गहलौ वाथ वै ।। १२४
रांणीवाक्य कर ढीला घट सांघूडां, नीर दुलो ढल जाय बं । पंथोडौ तिरस्यौ नही, नेयरणां रहीयौ लभाय बै॥ १२५
हु हठालु हठमला, हठीया हमारा नाम बे। मेरी पाग बत्रीस वड, उपर छोगा च्यार बे ॥ २७
रांणीवाक्यं तुं हठालु हठमन्ना, हठीया तुमारा नाम बे। वीषको वेलडी जो चरे, तो सोर धरी इहां प्राव बे ॥ २८
हठमलवाक्यं हुं हठालु हठमलो, हठीया हमारा नमां बे।
ए अमृतवेलडी मे चर, जो सीर जावे तो नांष बे ॥ २६ इसो कहे हठमल महीले चढ्यो।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org