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________________ बात सालूरो [ ८१ लाया। रांणीने चूंघाई, हीरणीरा जतन करने प्राछी जगा राषी । षांन - पांणरो जतन मोकलोकीयो । होवें दीन प्रस्त हूवो । तठे कुवरजी सूवाने कह्यौ - थ जाबतो घणी करज्यौ; हु राक्षसरौ जाब करी ग्राऊं छ ु । तठे सूवो बौलीयौ ] - दोहा - राकस धूतारो अछे, मार्या पूरना लौक बै । आप ईकडा वाहरू, जतना करज्यौ जोग बे ।। ७६ 1 था बीना सारी वातडी, सूनी हौय सोसार बे कुवर कहै रे सुवटा, श्राइ राकस हार बे ।। ७७ मारी ने माथौ ल्यावसू, तौ प्रागल ततकाल बे । ईम कहीयो लने बारने, उभौ कुमर न उजाल बे ॥ ७८ गोरषनाथजीने ध्याईयो, मनमै साहस धीर बे । इतरै राकस श्रायौ, वरड करड कुंक्कार बे ।। ७६ दंत कटका कुदतो, पवन उडावै धूल बै I ईम चलतो पोले निकट, प्रायौ राकस मूल बै ॥ ८० कुमर चल्यो सांमो जवे, काढी षडग मूष बोल बे । बल संभाग रे भूतड़ा, मांरु वाजत ढोल नै ।। ८१ तब राकस रूप रवौ, ददुर पग धूज बे 1 हुकार वक्कर हुलसीयौ, कुंवर षडग करि पूज बे ॥ ८२ श्रीगोरनाथजीरे ध्यानसू, षडगथी काढ्यौ सीस बे । राकस वले नही चालीयौ, मारयौ विस्वा वीस बै ॥। ८३* २१. वारता - ईण भांतसुं राषसनै मारनै माथो लेन कुंवरजी सूवां कनै ग्राया । सारी हकीकत कही नै कुवरजो सूवान कहीयौ -सूवाजी ! दाणा [ - ]. कोष्ठवर्ती श्रंश ख. ग. में निम्न रूपमें वर्णित है । ख. घर, हाट, बाजार, सर्व सुना पडीया छे । रसालु राजद्वारे गया । देषे तो सर्व सझाइ पडी छे । पीण सर्व नगरी मांहे जीवमात्र इके ही नही । पछे रसालु नवषंडे महीले चढया । उठे डेरा कीधा । घोडो नीचे परो बांधोयो । रांणीरा मृग, सुवटो, हीरण, मेनारा, घोडारा जतन करे छे । रसालु रांणी ने कहे-श्रा नगरी प्रांपे वसावसां । एहवो वीचार करतां दीन तीन हु [श्रा ] । ग. तदि पैलां-पैल रोसालू श्राव्या । सुंना घर, हाट देष्या । नवषंडे मेहल चढ्या । तिठे श्राप वीसरांम लोधौ । श्रापरी सुवो, मैणा, मृग, घोडो, रांणी सूषं रहे छे। ईम करतां दिन तीन हुवा | घ. तदी राजारी पौल गयो । मैहलां चढ्यौ । रांणीनं मैहलांमै ऊतारी । घोडौ पायंगा । सुवौ, मैनां उंचा बांध्या । सुवो मैनासु घणो हेत । * ख. ग. प्रतियों में उक्त श्राठों दूहों के स्थान पर निम्न गद्यांश उपलब्ध है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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