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________________ [ ७१ बात रीसासूरी [१४. वारता-ईसौ. समाचार सूणनै श्रीगोरषनाथजीरे पगे लागौ नै कुंवरजी घोड चढनै प्रभाते चालीयो । सो समुद्र तीरै गया। त, समुद्र उपर पाणीपथो घोडो चलायो सौ पार पूहंता। रीसालु कह्यो--माहाराज ! प्रापरी दीधी सारी दोलत छ, पिण एक मांगु छु–समुदरर पैले कांने राजा प्रांगजीत छ, तीणरी बेटी हूं परणु । तदी गोरषनाथजी नलीरा पासा काढने हाथ दीधा । अणी पासासू लजै । जा बचा ! जीतसी। तदी रीसालु पगे लाग नै पासा लीधा गोरषनाथजीवाक दहा---गोरषनाथजीरी सेवा कीधी, दीधा पासा हाथ बे। जा जा कुंवर रोसालुवा, वेग प[२]ण घर प्राव बे।। ७ घ. दुहा---पीया दुधा थली करौ, (रसालु) ऊठा होसुसुकनवां दीवे वे । रीसालु चाल्यौ परणवा, वेग परण घरी प्राव बे॥ तदी रीसालु माउनै काइ कहैमाय वडारण बाप वड, हम ही माह जी वडा । षेवटीया षीवै नाव ज्यु, कोइ क संजोग मीलीया ॥ ३ तदी माता मृगलानै कांइ कहैकाला मृग उजाडका, रीसालु पाछो फेर बे। सोवन सींग मढावसु, रूपाको गल डोर बे।। ४ तदी रीसालु फेर काई कहैदहा - हरण्या भला कैहरी भला, सुणी भला कै स्याम बे। . उठो राजन बांण ल्यो, सरैगा सब काम बे।। ५ अतरा बोल वचन कहै नै प्राघो चाल्यौ । प्रागै डुगर उपरै प्राग बलै छै। आग बलती दोठी तदी डुगर उपर चढयौ । तदी गौरषनाथजीने दोठा । तदी एक पगवरांणौ सवा पोहर ताई सेवा कीधी · तदी गौरषनाथजी पल उघाडी नै कह्यो रे बचा ! तु बैठ। तदी रसालु पगां लागौ । तदी गौरषनाथजी तुस्टमांन हूंवा । तदी रसालु बोल्यौ-माहाराज ! श्रापरी दीधी भारी दौलत छै, पीण एक वात नांगु छु–समुद्र तटै अपजीत राजारी बेटी हुँ परणु । तदी गौरषनाथजी नलोरा पासा करे दीधा। अणी पासासु खेलजे, जा बचा ! जीतसी । तदी गौरषनाथजीकै पगे लागौ, पासा लीधा । तदी गौरषनाथजी कोई कहै-- गोरषनाथजीवाक दुहा-गोरषनाथजीरी सेवा कीधी, दीधा पासा हाथ बे। जा बचा तुजीतसी, वेगौ जीत घर प्राव बे॥६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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