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बात रोसालूरी
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दूहा- सीधावौ सोध करो, पूरौ थाहरी पास थे।
जतन करजी मारगा, माने कीधी नीरास बै ॥ ५३ राज विना दिन जावसी, सो इक मास समान वै । पीण थे मांन मत भूलज्यो, 2 म्हारै जीवन-प्रारण बै ॥ ५२ थांसू कटती रातड़ी, रहती मै धरणीयात बै। हिव मे परवस होयस्यां, कीरगसू करस्यां वात बै॥ ५५ ईम केहतां प्रांसू ढल्या, वीलषा सारा साथ बै। कुवरजी मील मील रोईया, सह हुवा अनाथ बे ।। ५६ साथ घिरयौ पूठो हीवै, कुवरजी मारग जाय वै । मनमै चीत धीरपै, लेष विधाता प्राय बै ॥ ५७
देषो सूषम दुष हुवौ, होणहार सौ होय बै। ही वेलारै रांणी तो कठिन छै; पिण आपरै अ(प्र)साद सारो हि जाब हुय जासी। दुहा- गोरषनाथजीरी सेवा करी, दीधा पासा हाथ बे।
जाउ कुवर रीसालूवा, वेगो परण घर प्राव ५८
ख. तद चाकरे प्राय कुवरजीनु तसलीम कर बीडो नीजर कीधो। तद रसालुए जाण्यो-राजाई मानु सीष दोधी दीसे छ । एसो वीचार आप बोडो वांद ने एकलो घोड़े असवार होयने चालीया । कोणहीने कह्यो नही । तीण समीए धाय जाय कुवरजीरी माताने कहीयो- प्राज राजाजी कुवर रसालु उपर रीस कोधी, देसवटो दोधो । तद माता इसो सुणने पाणीपंथो घोडो, तोबरा दोय मोहरासु भरने दोना । रसालु मातारा महीलां नीचे होयने आगे नीकलीयो- तद माता रसालुने देषने काइ कहे छ
ग. तदी रीसालुनै तो आगमच षबर पड़ी-मोनै सीष दीधी। तदी कोणहीने पुछयौ नही । एकलो असवार होवे नै चाल्या । माउनै ठीक हुई-रीसालु कंवरने देसोटो दीघो। तदी माउ ऐक पाणीपांथो घोडो दोधो । तोबरा दोन मोहरांरा भरे दीधा। रीसालु माउरा गोषडा नीचे नीकल्यौ । माता रीसालुनै कांई कहै---
घ. तदी कुणीने पुछो नही । तदी असवार होयनै एकलौ चाल्यौ। तदी माउ कणीने पुछयौ । तदी धाय कह्यो-माउजी ! कुवरजीनै देसोटी दीधौ । माउ तदी घोडो १ पांणीपंथी दीघो। तोबरा दोय मोहरांका दीधा । तदी रसालु मारा मैहलां नीचे नीकल्यौ । रसालुने मांउ काइ कहै
A. ख. ग. घ. प्रतियों में ५३ से ५८ तक के दोहों के स्थान पर गद्यपद्यात्मक अंश इम प्रकार उपलब्ध है
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