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________________ बात रीसालूरी उमरावा वरज्या घरणा, राज न मान्यौ कोय बै। वीधना लेष हवै तीकै, उ टले टलीया टलाय बै ॥ ५१ होणहार सौही ज हूवौ, स्यारणपथी क्या होय बै। राजा कोपे भी भरचौ, वरजण सकौ कोय बै॥* ५२ १३. वारता--Aईण भातसू उमरावा घणाई वरजीया, पीण रीसरै वसै राजा वाद चढीयौ थको कालो घोडो, कालो सीरपाव लै नै आपरा जीव-जोगरा आदमीयानै साथै मेलीया न वले राजांजी कहीयो--करडांवरणे करै तौ माटी पण काढेजौ कुवरनै काढसौ; तद दरवारमै आवस्यौ ।A ____B इतरौ सूगनै सीरपाव ले नै दरबार आया । प्रागै कुवरजी आदमीयानै देष न मारी जूलसाई देषी । देषनै मनम विचारीयौ--दीस छै प्रौहितरो उपगार हुवौ । इतरो वीचार करता आदीमी कुवरजी साँमा आया नै मूझरौ कीयो न बोलीया--श्रीमाहाराजरो हुकम हुवौ छै-आप औ सीरपाव कीजौ, इण घोड चडै नै वनम पधारीजै । इसा समाचार श्रीकवरजी सूंणनै सारा ही साथसू मूजरौ करी नै बोलीयौ--बाबा ठाकुरै, बाईजी साहिवारौ हुकम प्रमाण न करू तौ हरामषोर वाज; तीरणसं आबै सारे ही साथसू राम राम छै; परमेसर मीलासी तरै मीलस्यां । इतरो कन घोड असवार हवा ने सीरपावस हेत कीयो, राजारो मोह छोडीयौ । तरै प्रापरी धाय माता वलै षवास, पासवान सूनणे (णनै) दीलगीर हूवा पोंचावान साथै चलीया । सारा ही नगरमै षवर हूई । हिवै कुवरजी सारा ही साथसं सेहररे दरवाजे आया । तठे प्राबै वीछडतां आपरा सनैई कुवरजीने कहै छै B * ४७ से ५२ संख्या वाले दोहे ख. ग. घ. प्रतियों में अप्राप्त हैं। A-A. चिन्हान्तर्गत अंश का पाठान्तर ख. ग. घ. प्रतियों में निम्न रूप में वर्णित हैं ख. इसो चीतवी राजाई चाकरी साथे कालो घोडो, कालो सीरपाव, त्रीपांनीयो बीडो मेलीयो, कहीजे-राजा मां जोग नहीं। ग. अर चाकर हाथ तीन पानको बोडो मोकल्यौ । कालो घोडो, कालो सरपाव दे ने देसोटो दीधो-थे मां जोगा नहीं। घ. तदी राजा चाकरी हाथै तीन पानरौ बीडो दीधौ । तदी कालौ घोडौ, कालौ सीरपाव दे नै सीष दीधी। B-B. ख. ग. घ. प्रतियों में चिन्हित अंश इस प्रकार है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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