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________________ बात रीसालूरी A तरै प्रौयतजी डेरै थकसू डेर नाठा, सो रोही काणी नीसरयां। आगे माहाराज समस्तजी सीकार करने आंबारी छांह सरौव[र]री पांले विराजीया छै । तठे प्रोहीतजी जाय पूकार घाली-श्रीमाहाराजा ! श्रीराज ! आज कुमार महीलां बारे नीकल्यौ नै सभा जोड न बेठा छ। तठे हुजाय नै सोष देतो छो, तठे कुवरजी रोस करने माहारी आबरू गमाई नै मांहैरै माथामै सोनारा गुरजैरी दीवी। तठे राजाजी सूंणनै न रोस करनै बोलीया--देषो हो ठाकुर, अबार थको माहरा प्रोहितरौ माजनौ गमायो, इसो त ईण पूत्र वीना इ सारस ; सोनारी छ री पेटाम मारी न जाय, तो अबै कुअरनै काई करणौ। त? प्रोहीतजी बोलीया-माहाराज ! घरमै राषै सौ तो फेर कोई विघनकार हसी। इणनै नीनाणनै सीष देवो । त? राजाजी बोलीया-मांहरै इण कवररो काम नही, इणनै दसवटौ दैस्यां । देसोटा वीना कवर पाधरो हव नई । तठे उमरावां सूणनै श्रीमाहाराजनै कहैण लागाAदूहा- एवडी रोस ने कीजीये, बनै वास बहु दुष बै। बालक वयम नानडौ, देषो मती हिव मूष बै ॥ ४७ जो तुमै रीसवतां हवा, तो राषो घर माह बै। पीरण दीसोटी देवता, राजवीया नही राह बै॥ ४८ वस राज(जी)रो राषरणी, कुरण धरणी आयत होय छ । वनवास प्रती दुष घरगा, क्यां जांणां क्या जोय बे । ४६ राजा सूरणनै बोलीयो, मूष मूषती माहरौ बोल बै। नीसरधो ते साचो हसी, साचो प्रोहीजै बोलै बे॥ ५० A-A. ख. ग. घ. प्रतियों में निम्न लिखित पाठ है- ख. तद प्रोहीत जाय राजा पासे पुकार कीधी । तद राजा कहै-बारै नीकलीयां पहीले दोन घररा प्रोहीतने हाथ उपाइयो, पछे कांई करसी ? सोनारी छुरी तो पेट मारणी तो कही नही । माहरे इण बेटा सुं काम नहीं। ___ग. तदी ब्राहमण राजा नषै गयो, कह्यो-माहाराज ! रीसालु माहरै दीधी। तदी कह्यो-माहरै अण बेटासुं काम नहीं । तदी कह्यो-अणन म्हैलोमैसु नीकलतां तो वेला न हुई, दन पण को न हूवा अनै घररो प्रोहीत मारयो । अब कांई जाणां कांई करसी ? ऐसो मनमै चीतव्यो पर राजा दरबार पाया। घ. तदी ब्राह्मण संगला राजा नषै गया, पुकारया। तदी ब्राह्मण सगला बौल्या-माहाराज ! म्हांनै रसालु कुंवर मोनै मारयो । तदो राजा मनमै डरप्यौ-अब काई जाणां कोई • करसी ? इणीने महलांमै नीकलतां कौईक दोन नही हुवा, तदी घरांरा प्रोहितनै मारयौ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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