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________________ ४६ ] बात बगसीरांमजी प्रोहित हीरांकी हाथ पकड़ हीरां तणो, रसियो प्रोहित राय ॥ ३४१ कर पकड़ी इम कहत है, चंद बदनी मुष चोज । प्यारी हठनै परहरो, महला कीज्ये मोज ।। ३४२ नरषो मो पर शुभ नंजरि, कर मत हठ बे काम । प्यारी चालो महल पर, तन मन अरपूं तांम ।। ३४३ अरज करू छापसुं, निपट पियारी नारि । महिलां चालो पदमणी, बाद न कीजै बार ।। ३४४ प्यारी सागर प्रेमका, मती करो हठ भा[माण । रंगमहला चालौ रमां, सुन्दर चत्र सुजाण ।। ३४५ हीरां बचन बंक भुकट बोली बयण, ऊभी हाथ ऊझाड़। आज न महलां आवस्यां, राज्ये करू ली राड़ ।। ३४६ प्रोहित बचन हीरां सुणज्यौ हेतकी, निरषत सनमुष नूर । प्यारी ऊभो हुकम पर, कर मत नैण करूर ॥ ३४७ हीरां बचन . दिल कपटी में देषिया, प्रत बल ले ऊपावै । पिचकारो मो ऊपरै, डारी भर भर डावै ।। ३४८ कोमल तन पर जोर कर, मो पिचकारी मार। पैला कीऐ पीडन, लावै नहीं लगार ।। ३४६ दाब कर बाही दड़ी, ताकत चोट सताब । अत कोमल मो अंग पर, गड गड पंष गुलाब ॥ ३५० गैंदा छटक गुलाबका, नटतां बायौ नीर । अंग चटक थरहरत अत, प्राण्यां षटक अबीर ॥ ३५१ केसरी बचन कहै बडारण केसरी, हीरां देषो हेत । पीतम बड़ो अधीन पर, मांनां बचन समेत ।। ३५२ होरां बचन लाष बात चालू नहीं, टालु नहै मंन टेक । तपसी बालक और नप, त्रिया हठ छै येक ।। ३५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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