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बात बगसीरांमजी प्रोहित हीराको
केसर होद भराय कर, प्रांगण फाग असेष । नीर पतंग गुलाब नवै, बिध बिध रंग बसेष ।। ३०३ प्रोहित प्यारी पेल पर, अति भारी छवि येम । कर धारी सोभा किनक, पिचकारी रंग पेम ॥ ३०४ कर हीरां डोली करग, भरत रंग भरपूर । रसिया बगसीरांमकै, नाषत सनमुष नूर ३०५ रंग भरत प्रोहित रसक, अदभुत हास ऊदोत । पिचकारी लागे प्रगट, हीरां थरहर होत ।। ३०६ प्यारी फाग बसंत पर, रसक तपी वर साल । लसत गुलाल सूरंगमै, लसत अंग छबि लाल ३०७ ।। बकि चितवन तन बदन, मोहत छबि सुकमार । भांमण डारत रंग भर, प्रीतम पर पिचकार ।। ३०८ चंदमुषी म्रगलोचनी, संक्रम चपल सभाव । झेली पिचकारी झुलत, डोली बाह म डाव ॥ ३०६ केसर अग्र कपूरको, मोहत कीच म काय । रंग पतंग गुलाब रुच, राती अंगण राय ।। ३१० अभैरांम हीरां अवर, लेवत झयर गुलाल । देवर भोजाई दोऊ, षेलत फाग खुस्याल । ३११ धमकत पग घुघरा तड़त दमकंत । सोभा तन कड कंकण झमकंत ।। रसक हस चमकरत दन वदन चंद्र दिक (विक)संत । घरण रमझम छबि ध्यावतं , कुमकुम जल भर कर गद्गुगत डोली फटकावत । पिचकारी यथा र पतंग, जल धिर फिर भर भर चंपलगत ,
भाभी देवर ईधक चित, रंग भा (फा)ग होली रमत ॥ ३१२ * दोहा- भाभी डोलत बहत भर, कर देवर पिचकार ।
ऊठ गुलाब धक बोल इन, धरण गिगन इकधार ।। ३१३ * [वम] धमकत पग घूघरा कर कंकरण झमकत , रसक हास चमकत रदन बदन चन्द्र विकसंत । तन सोभा दमकत तडत धरण रमझम छबि ध्यावत , कुंमकुम जल भर गड्डगत कर डोली झटकावत ।। पिचकारी यथा र पतंग, जलधिर फिर भर भर चंपलगत . भाभी देवर ईधक चित, रंग फाग होली रमत ।। ३०६
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