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________________ ४० ] बात बगसीरांमजी प्रोहित हीरांकी अरदलकै उपर रतनावत बिहद षागा बजाई ।। तांम करे केता पल तंडल मिल जोगण रत मांची , गैलां पूर पलंचर मिलं अधरण रुंड मिल सिव रांची। ऊदैयापुरमैं कीध अनोषी दारण हाथ दिषायौ , औ जोय बगसीरांम निवाई यम हीरां लै आयौ ॥ २७४ दोहा- बंध पकड़ ल्याय बिहद, कियो अनोषो काम । यम निवाई प्रावियो, रसियो बगसीराम ॥ २७५ प्रोहित बचन दोहा- आप बिना होये न असी, जीतायो मम जंग। कर जोडयां प्रोहित कैहै, राव बाहादर रंग ।। २७६ बिहद लोह बजाययो, समर रह्यौ मम संग। कैरे षता त रुलकिता, राव बाहादर रंग ॥ २७७ मै तो कागद मेलयौ, पायौ चाल अभंग । मेवाड़ा तो हथ मुवा, राव बाहादर रंग ॥ २७८ मो पणबत राषो मुदे, आयौ बीर अभंग । आप जस्यौ कुण छै अवर, राव बाहादर रंग ।। २७६ राव कहै जीती किधूं, तें मेवाड़ तमाम । किरमाला धोकल कियौ, रंग बगसीरांम ।। २८० चहवांण चढे चापड़े, ईत झाला थट थाम । भेड़ा षला दल भाजिया, रंग बगसीराम ।। २८५ चाली घाट चीरवै, झुक षाग यक जाम । बिजैत्र-मागल बाजिया, रंग बगसीराम ॥ २८२ अबै निवाई वुपरै, करो पुरण काम ।। राव गोड(8) बरणनं रची बाहादर रावन, प्रोयत गोठ प्रवीण । मिल सुभटां फुल मद, अत बंटे अफीण ।। २८३ रची गोठ यम राव मुं, मन तन करै ईत मांन । बिध बिध भुंजाई बिमल, जीमै पलक जिहांन ।। २८४ ३३. वार्ता- प्रोहित रावनै कहै छै- हूं तो आपका हकमैको आधीन छ। आपमैं काम पड्यां याद करस्यौ। काम पडयां मांथौ हाजरि छ। देही फूलधारां बरसी। रावनै बलदेव बगस घोड़ो येक गांव बीजलियो षांडो दे सिवाणी बिदा कीनौ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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