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___ बात बगसीरांमजी प्रोहित हीरांकी छप्पै- भीम रांण सांभले कहर प्रजले कोप कर ,
मूंछ भ्रकुटत मिले धूत चष चोल रंग धर । कहत वचन कोपियो पिरोहत जांण व यावै , मांन मार मेवाड़ जीत पापणी जणांवै ॥ ऊमरावां ऊपर हूकम, अतराई कालि फेरिया , मेवाड़ धण थट मिले, स घाट ईण बिधी रोकिया ॥ २६१ ऊट चढ़ पाकलो यम राईको आयो , चढयौ चढयौ मष चबै बिबध निज भेद बतायो । बीर धीर बे(पैदल चढे चहूँवांण च कारंण , चढे नंगारै चोट डेल वाडै झाला डारण । प्रोहित अब पधारसी, अठै बर्णली आवैतां , चीरवो घाट अचाणचक रोक्यौ इण बिध रावतां ॥ २६२ बा बात करतां यतै पणि प्रोहित आयो , चढे घाट चीरबै दूठ जबर दरसायौ । चढे नगारै चोट दोहू चढ़े कटक है , सबल चढे सूरमां चढ़े कायेर भये चक है । चहबांण इतै झाला अचल, ऊत राव प्रोहित ऊरडै, वीर हाक-धमच विषम, झुके बंदूका सो कड (डे) ॥ २६३ हणण मांच हैमरांण गणण घोषा रवै डूंगर , षणण बाजया ज पाषरां धुज पूरताल धरणधर । ठणण बंदुकां ठोर गोलियां गिणण गिण गनगत , टणण धनस टंकार भणण पर तीर भरणंकत ।। सिंधबा राग समागमण गरगण भेर श्रमक बज्ये, चीरबै घाट परचा पड़े, विषमं थाट भारथ बजे ॥ २६४ धरण फोड धडै धड़े गहिर गडे त्रमा गल , चोल रंग लड़ चढे बीरबर रडे दोहू ह[य?] बल । पवंन मंदगत पड़ी भांण रथ षडे णभुयण , जब ऊरड़ जोगणी जुड़े नारद रण जोयंण ।। गरड़ी बंदुक धायां, गिगन तीर सो क जडतड़े , चीरबै घाट परना पड़े, जंग थाट प्रोहित जुड़े ।। २६५
अथ राव बाहादर युधबरणन छंद जाते त्रोटक- अब राव बहादर कोप कियूं, ललकारत सेल प्रभाग लियू।
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