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________________ . बात बगसीरामजी प्रोहित होराको [ ३५ दोहा- ऊदयापूर निकसी गवर, तीज महोला तांम । अति आभूषण किनंक पट, बण बण घण छबि वान ।। २५६ प्रोहितको र रावको पोछोल प्रागमण और हीरा बांध पकड़ जुष प्रारंभते २८. बात- अब राव प्रोहित गवर देषबाकी असवारीकी तयारी कीनी । पोतदारनै अमल गलबाकी ताकीद दीनी। दोनुं सिरदार कहै छै- घोड़ा जीन कीजै, कमरयां सताव बांधे लीजै । सारै साथ मल चोगुणां अमल चढाया, ऊगाव कर सोगुणां जोस में आया। रावका, प्रोहितका चवदा बीसी असवार घोड़ा घमसांणरी छी, पाषर, बगतर, प्रावध, कडाजुड बणवाया। राव तो पवनवेग नाम घोड़े असवार, प्रोहितकै नील बिडंग प्रकार । दोनुं सिरदारांको कटक चढ चाल्यौ । मांनु श्री रामचंद्रजीको कटक लंका ऊपर हाल्यौ । राव बचन बात- राव कहै छ- बंध पकड़, झगड़ो कर पीछोलामै घोडा डकास्यां, चवदा बीसी असवारांसुं मगरो ऊतर जास्यां। यूं बातां करतां पीछोले प्राया, बीरू घाट दरसाया। दोहा- प्रोहित हीरां पेषीयो, तीष नोष छिब तोर । दूषी तिषातुर देषिया, मांनु घणहर मोज ॥ २६० । २६. वारता-अब हजारों लोग तीजका तमासगीर, विधा मैं कड़ा बीर प्रोहितकै मेवाड़ाकै धमचाल बाग्यौ, तरवार पडी सो पचास प्रादमी मेवाड़ांका काम आया। प्रोहितजीका साथमै चैन बुझाकड़क लोह लागा। हीरांनै पकड़ी। हीरानै प्रोहितजी नीलबिडंग घोड़ाकी पीठ पर विसालाका बंध आपक(क) पाछै चढाई। पर परत काली घोडीको असवार गुजरगोड़ आजारकै पाछ केसरीनै बैठाई। राब बचन बात- इतै राव बाहादर कहै छै- पीछौले घोड़ा डकावो, नहीं तो झगड़ा पर लोग जुड़ेलो। आपाने भाजवाकी प्रतंग्या छै, सो मरणो पडैलो । जेज न कोज्य, घोड़ा डकाईजै। अब चवदा बीसी असवार घोड़ा पीछौलामै डकाया । अणीरा भमर जगमंदर पाया । जगमंदरको बाग बाढयो । नंगी तरवार,यां (पा)णोंपंथ घोडा पीछौलाकै पैला पार चवदै बीसी असवारांसुं मगरो उतर गया। हीरां पकड़ी, बाग बाढयौ, ऊदैयापुरमै अनोषी कर गया। अब ऊदैयापुरमै भयानक कुक पड़ी । हलकारै रांणांनूं मालूमै करी । प्रोहित, कोडीधजकी बेटीने बंध पकड़ी। राजका सलैपोस सो-दौस तरवारयांकी धार काम आया। वै तो चवदा बीसी असवारांसुं मंगरो चढ गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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