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प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात
[ ५६ मंडि सबल दमंगल', दलण पलदल । प्रबल मलकल अटल अचपल । बिहद छलबल, करत धकबल। बहल बीजल, धार बल बल । कटि कमल पल, उछल पड़ि पल । तड़िछ तड़ लल, थहे रिण थल । रुहिर* रल तल, प्रछड़ पड़ अचल । जुवल अणियल', जुड़े करिबा जैत ॥ २ तिण बार दल दुहूवा तणां', अति अड़े भड़ अधियांवणा । अवगाह असहां अनड़ उभा, सूर सिंघ अवसांण । . तन प्रचंड रिण अति तापड़ा, बहो लोह वाहै बेझड़ा। पड़ झाट झड़ झड़, काट कौरड़ । छुटे लंब छड़, ताड़ तड़ तड़। बांण छुट बड़, सौक सड़ सड़। फूट फिफरड़, कलिज झड़ फड़ । अंतड़ उधरड़ लोथ लड़ थड़ ।
१. दमंगळ - युद्ध । २. बिहद - बेहद, बहुत । ३. थहे - होती है। ४. रुहिर - रुधिर, रक्त । ५. अणियळ - सेनाके अग्रभागमें रहने वाले, वीर । ६. जुड़े करिबा जैत -विजय करनेके लिये एकत्रित हुए। ७. दुहूवा तणां - दोनोंके । ८. अध्रियांवणा - शूरवीर। ६. अनड़ - अनम्र, उग्र। । १०. उभा - खड़े हैं। ११. ताषड़ा - प्रबल । १२. लोह वाहै - प्रहार करते। १३. फिफरड़ - फेफड़े। १४. कलिज - कलेजा। १५. अंतड़ - प्रांत उधड़ जाती हैं।
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