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________________ प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात [ ५७ सफीला उपरा' लोटण कबूतररी नाई लोटता नजर आवै छै । केहक गिरैबाज' कबूतररी नांई गिरह पाता नै पलचर पंषिया ज्यूं झड़फड़ाता सफीलासुं धरती पड़ता पहली दोय दोय तीन तीन कटारिया लगावै छै । तम्होकमसीघरा तो हाथसू तरवार बहै छै अर ईण भांतरी चोट करै छै तिकां नजरमैं राषै छै हर वाह वा कहै छै । तिको म्होकमसिंघरो नजररो रीषिबो अर रीझरो दाषबो । हाथरी उछांग" नै पगांरी फुरती अर गाढ पर अमट तिको सरदाररी बातानों चार। सो म्होकमसिंघ तो च्याराहीमै वारपार । ईण भांत म्होकमसिंघ घणौ जाडो घूमरो' प्रावै छै। जिणहीमै उड उड पड़े छै। अर इण उपरै घणौं तरवारियांरो गंज बोह झडै छै । ईणरा हाथरौँ घणां निरलंग' होय होय पड़े छै । ईणरै दांत आय चडै छै । जिको सुरगनै ही षड़े छै° । ईण भांत बात कहता बार लागै ओर मोरचांरां घणा षाता अड़िया1 । तिके पण ईण समैं कूद कूद पड़िया। ___ च्यारु तरफ ईण ही तरै होळीरी सी चाचर माची । सो दोनु ही तरफांरा आकाय तिके कुण पाय लांची । ईण तरै भांत भांतरा लोह बाहै छै अर अवसाण14 साधै छ । १. सफीला उपरा - दीवारों पर से। २. लोटण कबूतररी नाई - लकी कबूतर, एक प्रकारका कबूतर जो प्राकाशमें लुढ़कता हुआ सा उड़ता है। ३. गिरै बाज - गुलाच खाने वाला। ४. पलचर - मांसाहारी। ५. उछांग - उछाल। . ६. गाढ पर [थर] अमंट - गाढ़ी अर्थात् गहरी, स्थिर और अमिट । ७. घरणी जाडी घूमरो- बहुत तेजी और अभिमानमें । ८. गंज ''झड़े छ-बहुत जोरदार प्रहार होते हैं। ६. निरलंग - अंगहीन । १०. षडै छै - चलता है। ११. मोरचारां..'अड़िया - मोरचोंके रुके हुए प्रबल वीर। १२. चाचर - चर्चरी, एक प्रकारका होलीके अवसरका नृत्य । १३. पाकाय लांची - पुरुषार्थ वालों से कौन पीछे हटे। १४. अवसारण - प्रौसान, मौका । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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