________________
५६ ]
प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात प्रळकाळ रा लुहार अहरण' उपरां घणारी धांमधूम दे बादो बाद लोह घड़े छै । धारसु धार लाग माहोमाह घणी सिरोहियारो सांघणो सार झड़े छ । काळजा फीफरा' उपरां झपटता ग्रीध जिके झपटमैं पायां थकां कटि कटि पड़े छै । तिण रजपूतारै माथै सीरोहियांरा बाड' बरणाटक करता तूटै छै नै लोहियांरी धकरोळ चादरा चलै छ । जको जांणीजे क पहाड़ां उपराथी गैरूंरा षाळ उतरै छै । छोदा छीदा'
आछा आछा कमणैतारा हाथांसू तीर सरणकै छ । तिको च्यार च्यार पांच पांच आदम्यांमैं फूट परां पथरा उपरा जाय जाय षणकै छ । सो जाणे सूधी धारां निमाछलौ मेह पड़े छै । तिण भांत सिरोहियारी धार झड़कै छै अर केई बीच बीच बीजळीरी सी नाई बंदूकां भी किड़कै छै । घणा नेठावरा' बंदूकांरा षिलाड़ी तिकां माहोमाह हो उपाड़ी। जिको पैला प्रावता- हाथसू धकाय' म्होरीनुं छातीसुं भिड़ाय कटारीरी जायगां गोळी लगावै छै । कठै कठै ई माहोमाह बरछियांरी धमरोळ पड़े छै । ईण भांत माहोमाह सरावै छै । हर चोंप जगावै छै । जठै बरछिया अधसळे" हुवा थका गळबाथां घाल जमदढा जडै छै" । केहक लथोबथ" हुवा थका कटारियांसु
१. अहरण - एरिन । २. बादो बाद - प्रतिस्पर्धा, बारी बारीसे । ३. सांघणो - सघन, पोस-पास । ४. फीफरा - फेफड़े। ५. सीरोहियांरा बाड - तलवारोंके पैने भाग । ६. षाळ - नाले। ७. छीदा-छीदा - चौड़े-चौड़े। ८. निमाछलो मेह - सं० निम्नॊच वर्षा, अविरल वर्षा । ६. नेठावरा - हठी। १०. धकाय - धक्का देकर । ११. म्होरीनु - अग्र भागको। १२. धमरोळ – मारामार । १३. सरावै छ - सराहना करते हैं। १४ अध सळ (अर्द्ध सिलह) - घायल । १५. गळबाथां'' 'ज. छ- गलबांही डाल कर एक प्रकारको भयंकर कटारका प्रहार करते हैं। १६. लथोबथ (लत्थोबत्थ) -- गुत्थमगुत्था ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org