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________________ ५२ ] प्रतापसिंघ म्होकमसिघरी वात भणावै छै' । सो ईण भांत तो नेठाव' अर चावसू गढ माहिला लड़े छ । अर बारला तो निपट पाता षड़े छै । झडै छ सो तो झडै छ । अर पड़े छै तिको भी आघोई उळज उळज पड़े छ । बारला कितराहेक तो गोळियांरा मारिया मतवाळा हुवा थका धूम रह्या छै । अर कितराहेक नीसरणींया लूंब रह्या छै । कितराहेक तो फूट गया छै । अर कितराहेकका हाथ पग तूट गया छै । तिको पण बाळकरी तरह गोडार ही बळ ध्यावै छै। कितराहेकांका तिग' तूट गया छै । तिके रिगसता थका लफ लफ कोटरै जाय जाय कटारी लगावै छ। केहक साबता' पगां आग जाय जाय कोटसू लागा छ । तिकांन चौंप जितावै छै । कहै छै देषो ताता षड़ो'। हर कोटमैं जाय पड़ो। म्हे थां पहली घडेक' सूरग जावां छा। पण थांनं भी लेणनै सताबी हीज' आवां छा । वै पण हंसनें कहै छै । ठाकुरां सुरग सिधारीजै । सताबी कीजै । म्हारै वास्तै भी सुरगमैं नवां नवां पारषरा'' बिमाण आछा आछा तजबीज कीजै। म्हे पण पाया। जितरै म्हारा बारा अमतरा प्याला थे हीज लीजो। केहकारै सुमार लागी छै । जिकांमैं बोलणरी तो बकाय' रही १. भरणावै छ - पढ़ाते हैं। २. नेठाव - हठ, दृढ़ता। ३. पाता षडै छ - शीघ्रता करते हैं । ४. नीसरणीया - सीढ़ियां । ५. लूंब रह्या छै - लटक रहे हैं। ६. तिग - तंग, घोड़े पर काठी कसनेका साधन । ७. साबता – साबित । ८. ताता षड़ो- तेजीसे चलो। ६. घड़ेक - घड़ी एक। १०. सताबी हीज - जल्दी ही। ११. पारषरा - परीक्षाके, प्रकारके । १२. म्हारा बाटैरा - मेरे हिस्सेके । १३. केहकार छ - कईके अधिक चोट लगी है। १४. बकाय - बोलनेकी शक्ति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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