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________________ ४८ ] प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात अमल करावै छै । अर अमांमां' तीरंदाजांनै चोंप चढावणरी बातां बतळावै छै जिणांरी चोट अमांमी लागै छ । तिणांनुं हाथसू प्याला दीजै छै अर रीझा कीजै छै। घणां मीह जामा अतरमैं तिलवाय कीधा तिकांरा बंध छाती उपरासु षोल दीधा छ । जिके पुल रया छ । घणां मोतियांरी माळा नै जवाहरांरा जाळ उर उपर रुळ रह्या छ । माहो माह गुलाब छिड़कीजै छै । चनण अरगजा गातां उपर लगाईजे छै । अपछरा बरण- अर सुरग मांहे बघर करण→ चोप जगाईजै छ । तिको अणपूछिया ही किसडोहेक दीसै । अ तो अपछरा परणे ही बिसवा बीसै । के तो नवल बनां आलीजा पनां' सेजसू रस भीजिया थका अबारूं ही उठ धाया छ । कै चोंप रीझ ठाणबानु' महल रंग माणबा! अब उठ धाया छै । जरकसी बादळांरी पाघां जिकांरा ढीला पेच उपरां लाबा पटांरा पेच बडा पेचांसं बांध राष्या छ । जिकांमैं उळझिया थका मोतियांरी लड़ारा पेच केयां केयां न्हाषिया छ । तिके ईण भांत बणिया थका छैल नजर आवै छै तिकौ झै सारा ही मगरूररा फैल12 । बेपरवाह हुवा थका बाह करै छै । जिण भांत बाग मांहि हदफरी चोट धारै ईण भांत ईण बेळांमै चोप १. अमांमां-तेज, कुशल । २. घरणां मीह - बहुत महीन। ३. तिलवाय कीधा - तर किये। ४. रुळ रह्या छ - बिखर रहे हैं। ५. चोप जगाईजै छै - इच्छा प्रकट की जा रही है। ६. बिसवा बीसै - पूरी तरहसे, अवश्य हो । ७. आलीजा पनां - प्राली जहाँपनाह, पादरसूचक प्रयोग । ८. अबारू ही- अभी ही। ६. ठाणबानु - निश्चयके लिये। १०. महल रंग मारणबानु - महल में प्रानन्दोपभोगके लिये। ११. न्हाषिया छ - डाले हैं। १२. मगरूररा फैल - मगरूरके तुफैल । १३. बाह करै छ - प्रहार करते हैं। १४. हदफरी चोट धारै - चांदमारीका, गोली चलाने के प्रयासका प्रहार करते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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