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________________ [ ४७ प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात बात तिको बारला तो कठा तक दीजै दाद । पण माहिलारी भी रजपूती हदसूं ज्याद । जिके इण गजब- चाहनै पाहुणां करै । जिके पिण इसडा ईज होय जिको पांणीरो लोटयो रूड़ाहीज भरै। जिको बारला तो निपट अमांमी अनांघात अदभुत अछुती रजपूती करै छै । पण माहिला तो इणरो भै तिल मात भी न धरै छै । घणो गुमर नै बोझ लीधां थकां बांका बचन बरबरे छै'। अर घणी मनवारिय्यां' करै छ । तठे गोळिणारी पड़े छै ताड़। तिको गड़ारी सणक किनां घणां मेहरी बोछाड़ । इण भांत घणी सांघणी मार दे छै । अर दारूरा प्याला लै छै' । घणां बेउ सवाय रस बिलासमै ठाउ हुवा थका आलूधा भंवर। एकसूं एक चढता डोडियारा कवर । घणां नेठाव'' अर घणां चावसूं बादो बाद" गोळिया चलावै छै। चोटरी रीझ पर गोठरी होड' लगावै छ। मनुहारिया कर कर दूणां दोढा : १. बारलांनू - बाहर वालोंको, गढ़ पर आक्रमण करने वालोंको । २. दाद - प्रशंसा। ३. माहिलारी -- भीतर वालोंकी, गढ़वाप्तियोंकी। ४. चाहनै पाहुणां करै - चाह कर महमान बनाते हैं अर्थात् जानबूझ कर लड़ते हैं। ५. भै - भय । ६. गुमर - गर्व । ७. बरबरे छ - बोलते हैं। ८. मनवारिय्यां - मनुहारें। ६. ताड़ - तडातड़, बौछार । १०. गड़ारी सणक - प्रोलोंकी वर्षा । ११. दारूरा' ले छ - मदिराके प्याले पीते हैं। १२. बेउ - दूसरी बार प्रोटाई हुई तेज मदिरा । १३. ठाउ हुवा थका - तृप्त हुए, मस्त हुए। १४. अलूधा - भालुब्ध, लोभी। १५. डोडियारा कवर - डोड़िया राजपूतोंके पुत्र । १६. नेठाव-हठ। १७. बादो बाद - बढ़ा बढ़ी, प्रतिस्पर्धा । १८. गोठरी होड – गोष्ठी अर्थात् प्रीतिभोज वेनेका बराबरीका वचन । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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