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प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात
बात तिको बारला तो कठा तक दीजै दाद । पण माहिलारी भी रजपूती हदसूं ज्याद । जिके इण गजब- चाहनै पाहुणां करै । जिके पिण इसडा ईज होय जिको पांणीरो लोटयो रूड़ाहीज भरै। जिको बारला तो निपट अमांमी अनांघात अदभुत अछुती रजपूती करै छै । पण माहिला तो इणरो भै तिल मात भी न धरै छै । घणो गुमर नै बोझ लीधां थकां बांका बचन बरबरे छै'। अर घणी मनवारिय्यां' करै छ ।
तठे गोळिणारी पड़े छै ताड़। तिको गड़ारी सणक किनां घणां मेहरी बोछाड़ । इण भांत घणी सांघणी मार दे छै । अर दारूरा प्याला लै छै' । घणां बेउ सवाय रस बिलासमै ठाउ हुवा थका
आलूधा भंवर। एकसूं एक चढता डोडियारा कवर । घणां नेठाव'' अर घणां चावसूं बादो बाद" गोळिया चलावै छै। चोटरी रीझ पर गोठरी होड' लगावै छ। मनुहारिया कर कर दूणां दोढा :
१. बारलांनू - बाहर वालोंको, गढ़ पर आक्रमण करने वालोंको । २. दाद - प्रशंसा। ३. माहिलारी -- भीतर वालोंकी, गढ़वाप्तियोंकी। ४. चाहनै पाहुणां करै - चाह कर महमान बनाते हैं अर्थात् जानबूझ कर लड़ते हैं। ५. भै - भय । ६. गुमर - गर्व । ७. बरबरे छ - बोलते हैं। ८. मनवारिय्यां - मनुहारें। ६. ताड़ - तडातड़, बौछार । १०. गड़ारी सणक - प्रोलोंकी वर्षा । ११. दारूरा' ले छ - मदिराके प्याले पीते हैं। १२. बेउ - दूसरी बार प्रोटाई हुई तेज मदिरा । १३. ठाउ हुवा थका - तृप्त हुए, मस्त हुए। १४. अलूधा - भालुब्ध, लोभी। १५. डोडियारा कवर - डोड़िया राजपूतोंके पुत्र । १६. नेठाव-हठ। १७. बादो बाद - बढ़ा बढ़ी, प्रतिस्पर्धा । १८. गोठरी होड – गोष्ठी अर्थात् प्रीतिभोज वेनेका बराबरीका वचन ।
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