SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात [ ४६ धारै छै । हाथां पास बंदूकां नवलासी' ज्यौ लीधां फिरै छै । जिका बंदूकार म्हौरीयारे फुलारा हार नै मोतियांरा तुररारा भार बांध दीधा छै । जिके जांणीजै क कंद्रप* कोटेक' रूप कीधा छै । पर प्राप अपरा नीसाण हाथ लीधा छै । कठै कठै ही पिलबतरी रवासां मांहे तीरबारा' । तठै कवर रहै न्यारा न्यारा । जिके गायणयां पातरिया तवायफ थाट' । 6 10 तिकांनूं होळीरा दिना मैं होळीरा ब्याल गावै छै । तिकांने पण प्याला पावै छं । अर गोळियांरी लागां थकां रजपूत नट कुळट षेलै छै |तिकांनूं तमासा दिषावै छै । केई केई तायफ - " लोग न डरै छे । वे पण गोलियां बावरी हौंस धरै छै" । तिको यांसूं ईण भांत ष्याला मैं रंगमैं हंस रह्या छै । महा मगरूरीसुं बीरमैं पर मैसमैं फस रह्या छै । केई केई मोटियार घणां दारूरा माता " 2 । रंगमैं राता । पटा 13 छूट' हुवा | आपरा महला मैं जुवा जुवा 14 । 5 हां या एक हाथ ही गोळी बाहै छं । माहो माह मोतियांरी माळा १. नवलासी - नये प्रकारकी । २. लीधां फिरं छं - लिये फिरते हैं । ३. म्हौरीयार - श्रागके भागोंके । ४. केंद्रप- कंदर्प, कामदेव | ५. कोटेक - करोड़ों । ६. कठै ही तीरबारा - कहीं पड़ाव के निवास में अलग तिबारे है । .. ऐक हाथसूं गळबांही ७. गायणयां थाट - गायिकाओं, पातुरियों और तवायफोंका समूह । पातुरियों आदिके लिये विशेष देखिये मारवाड़ मर्दुमशुमारी रिपोर्ट भाग ३, सन् १८६१ ई० । ८. ब्याल - खयाल, गीतोंका एक प्रकार, ख्याल राजस्थानी लोक नाटकों को भी कहा जाता है । विशेष देखिये- लोक कला निबन्धावली, भाग १, भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर । ६. नटकुळट - एक प्रकारका छलांग मारनंका खेल । १०. तायफ - तवायफ | ११. गोलियां घरै छ - गोलियां चलानेका होंसला रखती हैं। १२. मोटियार माता मदिरा में मदमस्त युवक । १३. पटाछूट - बिखरे बालोंके । १४. जुवा जुवा - अलग-अलग । १५. गळबांही न्हांष्या - गलेमें हाथ डाले । Jain Education International - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy