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________________ राजान राउतरो वात-वरणाव २७ राखरणहार देह साझनारा करणहार बैठा तप करै छै. अनेक सत्रकार सत धरमरा राखणहार खैराइतांरा करणहार धजबंधी कोड़ीधज लाखेसरी दौलतिवंत चौरंग लिखमीरा लाडिला लोक वडा वापारी वाहवारिया सौदागर वहराम संद साहूकार घरा सुख चैनसु वसै छे । तठा उपरांत करि राजान सिलामति तिग सहिर मांहे छत्रीस पवन जाति रहे छै तिर सहिर मां बाजार चोहटा मंडिया छै. सोना रूपा जवहर जड़ाव कपड़ा पटकूल रेसम पसमरा बाब भांति भांति विसाईजै छै । तठा उपरांति करि नै सराफ बजाज जोहरी दलाल भांति भांतिरा बाब भांति भांतिरा पदारथ भांति भांतिरी अमोलिक वसतां मोलावीजे छे. हटवाड़ेरी भीड़ हुई नै रही छे. चौहटै मांहे रंग तंबोलरों कीच मचि नै रहिनौ छै । तठा उपरांति करि नै भोगिश्रा भंगर लंजा छयल हुसनाक जुवान निजरबाज बाजार मांहै ऊभा जोहां खाए छै. चोहटै मांहै नगर-नायिका वेस्या लाख लाखरी लहरणहार सोल सिरणगार ठवियां थकां दूलांरा चौसरा पैहरियां थकां टोय श्रणियाला काजळ ठांसियां थकां वांकानैणांरी झाक नांखती पायलेरै ठमकेसु घूघरैरे घमकैसू विछीयांरै छमकै रमभोळ करतो मगूठा मोड़ती नखरा करती बाजारि चाली जाए छै. निजरां झड़ाका लागां थकां जुवानां छ्यल्लांरा मन गरेद बाज करै छै. भांति भांतिरी वेस, रसाळ, भांति भांतिरा खेल मंडि नै रहिया छै. भांति भांतिरा तमासा लागि नै रहिया छे. इरण भांतिरा मारू सहर मंडोवर सिवपुरी बिराजमान हुआ छे. कनां इंदपुरी-सी निजरि श्रावै छै । तठा उपरांति करि ने राजांन सिलामति इस भांतरा सिद्ध खेत गिरंद ऊपर राज पदवी राजसरा सुख कुअरपदी भोगवीजे छै तिरा राजान राजकुमार मारूनू ४ ठौड़रा नाळेर आया छै. एकलंग चित्रौड़ गढ़रा धरणीरा. लुद्रपुर पाटणरा, घाट सहररा, पुंगल नगरा डोला आइ पुहकर ऊपर उतरिया छे प्रढ़ार दोष रहित गोधुद्रिक साहो सोझाड़ियो छ । तठा उपरांत करि नै राजांन कुमारशे जांन घणै प्राडंबरसू हाथी घाड़ा वहिल सुखासरण रथ पायकरावरगाव कियां थकां बघेल जांनियांरं साथ लियां घर मोती जड़ाव जरकसी लड़ालंब हुआ है. घर सोंवें घरणी केसरि अगरचेस गरकाब कियां थकां घोड़ा रजपूतांरै घूमरैस प्राइ तोरण बांदियौ छे. तठे आगे बखांरणी निए भांतिरीं . रायजादी गोरंगीनां सोलसिणगार ठवियां बाळ वाळ मोती सारियां तोरण कळस दावे छे. मोतियै बधावे छे. प्रांखे छे 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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