SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ की मुसाफरी का और रास्ते के पहाड वगैरह स्थलों का जो स्वाभाविक वर्णन किया गया है वह बहुत रमणीय मालूम देता है । जो संस्कृत के अभ्यासी हैं वे तो स्वयं मूल पत्र को पढ़ कर, उल्लिखित वृत्तान्त का ज्ञान कर सकेंगे परन्तु जो संस्कृत नहीं जानते ( और जिन की संख्या जैन-समाज में अत्यधिक हैं ) उन के ज्ञानार्थ पत्र के सारांश देने की जरूरत होने से प्रथम वह दिया जाता है। विज्ञप्ति-त्रिवेणि का सारांश । आचार्य श्रीजिनभद्रसूरि की आज्ञा ले कर, श्रीजयसागरोपाध्याय, मेघराजगणि, सत्यरूचिगणि, पं० मतिशीलगणि और हेमकुं. जरमुनि आदि अपने शिष्यों के साथ सिन्ध के मुल्क में विचरने गये । इधर उधर के गाँवों में विचरते ठहरते, संवत् १४८३ का चातुर्मास मम्मणवाहण नाम के नगर में किया । चउमासे बाद, संघपति सोमाक के पुत्र सं. अभयचन्द्र ने मरुकोट्टमहातीर्थ की यात्रा के लिये संघ निकाला । उपाध्याय धीजयसागरजी भी उस संघ के साथ गये और यात्रा कर पीछे मम्मणवाहण में आये । इसी असें में, फरीदपुर के श्रावक लोक मम्मणवाहण आये और उपाध्यायजी को अपने गांव में आने की विज्ञप्ति की। उपाध्यायजीने उन की विज्ञप्ति का स्वीकार कर मम्मणवाहण से विहार किया और द्रोहडोट्टादि गाँवों में होते हुए फरीदपुर पहुंचे। वहां के संघ ने उपाध्यायजी का बड़ा सत्कार किया और बडे ठाठ माट से उन का नगर-प्रवेश कराया। साधुओं का मुख्य कर्तव्य जो धर्मोपदेश देने का है, वह वहाँ निरंतर होने लगा और उपाध्यायजी के उपदेश से जैनेतर ऐसे कितने एक ब्रह्मक्षत्रिय और ब्राह्मण आदि भी जैनमतानुयायी हुए। (मूलग्रंथ-पृ. २२-पं. १०-१३.) इस प्रकार कितने एक दिन बीते बाद, एक दिन सवेरे व्याख्यान दे कर उपाध्यायजी उठे थे और गायकजन कुछ गीतगान कर रहे थे, कि इतने में, कहीं से, डावे हाथ में कमंडलु लिये हुए, फटे-पुराणे कपडे पहने हुए और केश वगैरह जिस के धूल से भरे हुए हैं ऐसा एक दुर्बल मुसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003389
Book TitleVignaptitriveni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1916
Total Pages180
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy