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________________ L ६० 1 समय को मुगलकाल में सैयद बन्धुनों का समय कह सकते हैं। इस समय में सम्राटों को बनाना, बिगाड़ना इनके बायें हाथ का खेल था। इनका पिता सैयद अब्दुल्ला खां मियाँ श्रीरंगजेब के शासनकाल में बीजापुर तथा अजमेर का सूबेदार रह चुका था । फर्रुखसियर ने इन्हीं की सहायता से सिंहासन प्राप्त किया था, अतः हसन ( अब्दुल्ला) को प्रधान मंत्री और हुसेन को प्रधान सेनापति नियुक्त किया । इस प्रकार सेना तथा शासन दोनों पर इनका नियंत्रण हो गया । ये बड़े ही वीर, योग्य तथा दृढ़प्रतिज्ञ थे । हिन्दुस्तानियों के साथ इनकी अधिक सहानुभूति थी । ये हिन्दू विरोधी नीति के घोर विरोधी थे । रतनचन्द नामक हिन्दू व्यापारो को इन्होंने अपना दीवान नियुक्त किया । दुर्ग के सेनाध्यक्षों तथा पदाधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार भी इन्हें था । इस प्रकार इन्होंने उत्थान की सीमा पार कर ली थी। अब इनको नीचा दिखाने के लिये सम्राट ने कूटनीति से काम लेना प्रारम्भ किया और इनके विरुद्ध षड़यन्त्र रचने लगा, जिसका पता इनको लग गया और इन्होंने जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह से मित्रता कर उसको अपनी ओर मिला लिया तथा फर्रुखसियर की सत्ता को समाप्त करने का निश्चय कर लिया । फलतः वह पकड़ लिया गया और प्रन्धा करके कारागार में डाल दिया गया और कुछ दिन बाद ई० सन् १७१६ के अप्रेल मास में उसका वध कर दिया गया । उसके बाद संयद भाइयों और महाराजा अजीतसिंह ने रफी-उद-दाराजात और रफी उद्दौला को क्रमशः नाम मात्र का सम्राट बनाया । इनके बाद सैयद भाइयों ने मुहम्मदशाह को सिंहासन पर बैठाया । इसी के समय में इनका पतन हो गया और ई० सन् १७२० में कुछ षड़यंत्रकारियों ने हुसेनली का वध कर दिया। भाई की मृत्यु का समाचार पाते ही हसनअली ( अबदुल्ला) बदला लेने के लिये सेना एकत्रित करके चला परन्तु बादशाह की सेना से युद्ध में पराजित होकर कैद कर लिया गया । कारागार में ही ई० सन् १७२२ में उसकी मृत्यु हो गई । सोनग राव सीहाजी का दूसरा पुत्र और ग्रासथान का छोटा भाई था । इसने अपने बड़े भाई प्रसथान की सहायता से ईडर (गुजरात) के ( कोली जाति के ) राजा सामलिया सोड़ को मार कर ईडर राज्य प्राप्त किया था। ईडर का राजा होने के कारण ही सोनग के वंशज ईडरिया राठौड़ कहलाये । हमोद खां यह बादशाह मुहम्मद शाह के वजीर निजाम-उल मुल्क का चाचा था । बादशाह मुहम्मदशाह ने जोधपुर नरेश महाराजा अजीतसिंह को गुजरात की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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