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________________ [ ७६ ] की आज्ञा से महाराजा जसवंतसिंह के दल के साथ दिल्ली आ गया। इसी दिल्ली के युद्ध में महाराजा अजीतसिंह की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। शेखमल्लाह यार यह अहमदाबाद के सूबेदार सर बुलन्द खां के विश्वासपात्र सेवकों में से था। युद्ध के समय यह किले का रक्षक बनाया गया था। शेखअल्लाह यार ने अपने साथियों की सलाह से फाटकों को चुनवा दिया और स्थान-स्थान पर रक्षक नियत कर दिये और घेरे के लिये सामान एकत्रित करने लगा। शेखअल्लाह यार, जिसको शहर की चौकसी व रक्षा का भार सौंपा था, पूरी सतर्कता व सावधानी से कार्य करता था। यह बड़ा वीर, नीतिज्ञ तथा रण-कुशल व्यक्ति था और अहमदाबाद के युद्ध में राजाधिराज बखतसिंह से लड़ता हुआ मारा गया। सेखा (राव शेखा)____ यह राव सूजा का द्वितीय पुत्र था । अपने भाई बाघा की इच्छानुसार शेखा ने अपना अधिकार छोड़ बाघो के ज्येष्ठ पुत्र वीरम को राज्य का उत्तराधिकारी बनाने को अनुमति दी थी। परन्तु सरदारों ने चुपचाप गांगा को गद्दी पर बैठा दिया। इसीसे राव शेखा बहुत नाराज हुमा और जोधपुर का राज्य प्राप्त करने के लिये नागौर के नबाब दौलत खां और हरदास ऊहड़ की सहायता से वि० सं० १५८५ (ई० स० १५२६) में जोधपुर पर चढ़ाई की। राव गांगा और बीकानेर के राव जैतसी भी अपनी सेना सहित युद्ध-क्षेत्र में आ डटे । घमासान युद्ध हुआ। दौलत खां भाग गया और शेखा लड़ता हा वीर-गति को प्राप्त हुआ । शेखा महान् वीर, त्यागी और साहसी व्यक्ति था। सैयदउद्दीन (ख्वाजा सैयदउद्दीन) बादशाह महम्मदशाह के प्रधान मंत्री निजामुलमुल्क के विश्वासपात्र व्यक्तियों में था। निजामलमुल्क के दक्षिण में चले जाने के बाद इसने अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयत्न किया और यह प्रधान राज-मंत्रियों की श्रेणी में आ गया। किन्तु यह अधिक दिनों तक शाही दरबार में टिक नहीं सका, और बादशाह मुहम्मदशाह के कुप्रबन्ध से नाराज होकर दक्षिण में निजामुलमुल्क के पास चला गया। सैयद बन्धु भारतीय इतिहास में हसनअली खां तथा हुसेनअली खां सैयद, सैयदबन्धु (भाइयों) के नाम से पुकारे जाते हैं। ई० सन् १७१२ से १७२० तक के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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