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________________ [ ७८ ] हैदरकुली खां गुजरात का शासन सुजात खां को सौंप कर चला गया था । उसके स्थान पर निजाम स्वयं गुजरात का सूबेदार बन गया और हमीद खां को गुजरात में अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया किन्तु सुजात खां ने शाही दरबार में हमीद खां का पक्ष कमजोर देखा तो उस पर चढ़ाई कर दी और अपनी सेना को अलग-अलग टुकड़ियों में विभक्त कर दिया। जब वे शहर के निकट पहुँचे तो बिखरी हुई टुकड़ियों पर मरहठों ने प्राक्रमण कर दिया जिससे सुजात खां की सेना तितर-बितर हो गई । सुजात खां ने एक तरफ अपना मोर्चा लिया किन्तु हमीद खां मौका पाकर ऊपर आ धमका और सुजात खां पर तीरों और भालों से वार करने लगा । इस प्रकार सुजात खां को मार डाला गया । सुरतांन ( सिरोही के राव सुरतान ) - यह राव लाखा का प्रपौत्र तथा भारण का पुत्र था । राव मानसिंह के बाद सिरोही की गद्दी पर बैठा, किन्तु कुल अधिकार बीजा देवड़ा के हाथ में था । इसने सुरतान के काका सूजा रणधीरोत को मरवा डाला। बीजा स्वयं सिरोही का राजा बनना चाहता था पर उसका मनोरथ पूर्ण नहीं हुआ और कल्ला राजा बना दिया गया किन्तु कुछ दिन बाद ही सरदारों ने कल्ला को हटा कर दुबारा सुरतान को सिरोही का राजा बनाया । इसने चन्द्रसेन के पुत्र रायसिंह को रात्रि के समय अचानक आक्रमण कर मार डाला था । गुजरात जाते समय महाराजा सूरसिंह को रायसिंह के मारे जाने का खयाल आ गया और उन्होंने बदला लेने के लिए सिरोही और उसके गाँवों को लूटने की आज्ञा दे दी । यह देख सुरतांन घबराया और बहुत-सा रुपया महाराजा की भेंट कर उनसे सन्धि कर ली । सूजा ( शाह शुजा ) - यह बादशाह शाहजहां का द्वितीय पुत्र और बंगाल का सूबेदार था । बंगाल में विद्रोह कर देने पर आमेर के मिर्जा राजा जयसिंह को इसके विरुद्ध भेजा । उसने जाकर शाहजादे शुजा को परास्त कर दिया। बाद में राज्य प्राप्ति के लिए गरे पर अधिकार प्राप्त करने की कामना से बंगाल चल पड़ा । पर इस उत्तराधिकार युद्ध में पराजित होकर अराकान की ओर भाग गया और वहीं पर आराकानियों द्वारा मारा गया । सूरजमल यह सांदू गोत्र का चारण और नाथा का पुत्र था । यह महाराजा जसवन्तसिंह के साथ काबुल में था, किन्तु महाराजा की मृत्यु के बाद औरंगजेब बादशाह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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