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________________ सूबेदारी से हटा कर हैदरकुली खां को वहाँ का सूबेदार बनाया। हैदरकुली खां बादशाह के वजीर निजाम से शत्रुता रखता था। जब वह गुजरात का स्वतंत्र शासक बनने का प्रयास करने लगा तो निजाम को उसे वहां से हटाने में सफलता प्राप्त हुई। निजाम स्वयं गुजरात का सूबेदार बन गया और अपने चाचा हमीद खां को गुजरात में अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया। निजाम बादशाह मुहम्मदशाह से प्रसन्न नहीं रहता था, अतः उसने दक्षिण में जाकर हैदराबाद को अपने अधिकार में कर लिया और वहां का स्वतंत्र शासक बन बैठा और उसका चाचा हमीद खां भी गुजरात का स्वतंत्र शासक बन गया। हमीद खां ने अहमदाबाद में बहुत अत्याचार किये । वह कंथाजी, पीलाजी प्रादि मरहठों से मिल गया। इसका दमन करने के लिये बादशाह ने शुजाअत खां, इब्राहीमकुलो खां, रुस्तमअली खां आदि मुगलों को सेना सहित भेजा किन्तु हमीद खां बड़ा चालाक, बुद्धिमान, नीतिज्ञ व दूरदर्शी था। उसने मरहठों की सहायता से एक एक कर के बादशाह के भेजे हुए सब मुगलों को मार डाला और उनकी सेनाओं को भगा दिया। अन्त में बादशाह मुहम्मदशाह ने एक विशाल दल के साथ सर बुलंद खां को गुजरात का सूबेदार बना कर भेजा। हमीद खां ने उसका मुकाबिला किया किन्तु अपनी पराजय का अनुमान कर के अहमदाबाद को छोड़ कर दक्षिण को ओर चला गया। हरदास ऊहड़ (ऊड़)__ यह मोकलोत के २७ गांवों सहित कोढणा (कोरणा) का स्वामी था। यह जोधपुर राज्य की लक्कड़ चाकरी नहीं करता था, केवल आकर मजरा कर जाता था, इसलिये कुंवर मालदेव इससे अप्रसन्न रहता था, अत: हरदास का पट्टा जब्त कर लिया। इस समाचार को सुन कर वह सोजत में वीरमदेव के पास चला गया और गांगा का साथ छोड़ कर रायमल से जा मिला । यह जोधपुर का राज्य वीरम को दिलाने के पक्ष में था, अत: यह शेखा से जा मिला । यह बड़ा ही वीर, स्वाभिमानी और निर्भीक व्यक्ति था। यही नागौर के नबाब दौलत खां को शेखा की सहायतार्थ लाया था। इसी युद्ध में राव शेखा और हरदास ऊहड़ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। हैदर कुली खाँ__ यह बादशाह बहादुर शाह, फर्रुखसियर और मुहम्मद शाह के समय में शाही सल्तनत का वफादार रहा । इन बादशाहों के शासनकाल में सर्व प्रथम ई. सन् १७१५ से १७१८ तक सूरत बन्दरगाह का शासक रहा । हैदर कुलोखां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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