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________________ [ ७३ ] रोशनउद्दौला यह एक शाही अफसर था। कारणवश महाराजा अभयसिंह पर इसकी नाराजगी हो गई थी, जिससे उसने महाराजा को मारने का निश्चय किया, किन्तु बादशाह ने महाराजा को बुला कर समझा दिया था। यह वीर, बुद्धिमान, चतुर और राजनीतिज्ञ था। अहमदाबाद की सूबेदारी के समय हैदरकुली खाँ के मनमाने आचरण से बादशाह नाराज हो गया था। उस समय रोशनउद्दौला ने बादशाह को समझा कर हैदरकुली खाँ को माफी दिलवा दी और उसे अजमेर की सूबेदारी तथा सांभर की फौजदारी दिलवा दी। रोहिल्ला खां यह अजमेर के नये सूबेदार नाहर खां का भाई था। नाहर खां बादशाह मुहम्मदशाह की सेना की एक टुकड़ी का फौजदार था। यह महाराजा अजीतसिंह के विरुद्ध फौज लेकर अजमेर पर पाया था। किन्तु महाराजा के दीवान भंडारी खींवसी की चतुराई से इसने राठौड़ों के डेरों के पास ही अपना डेरा लगाया जहाँ अचानक राठौड़ों ने आक्रमण कर इसे ई० स० १७२३ के जनवरी मास में नाहर खां के साथ मार डाला । विजयराज (भण्डारी)- यह भण्डारी खेतसी का पुत्र था। यह उन ओसवाल मुत्सद्दियों में विशेष स्थान रखता है जिन्होंने जोधपुर राज्य के इतिहास को अपनी सेवाओं द्वारा गौरवान्वित किया। पहले-पहल यह जोधपुर नरेश महाराजा अजीतसिंह द्वारा मेड़ते का हाकिम नियुक्त किया गया। दिल्ली के उत्तराधिकारयुद्ध में इसने महाराजा की आज्ञा से जोधपुर से ससैन्य जाकर शाहजादे फर्रुखसियर का पक्ष लिया था। बादशाह मुहम्मदशाह ने महाराजा अभयसिंह को गुजरात का सूबेदार बना कर सर बुलन्द का दमन करने के लिए भेजा । महाराजा अपने दल-बल सहित जोधपुर से रवाना हुआ। उस समय महाराजा की फौज के तीन भाग किए हुए थे। एक महाराजा अभयसिंह के अधिकार में, दूसरा महाराजा के भाई राजाधिराज बखतसिंहजी के अधिकार में और तीसरा भण्डारी विजयराज के अधिकार में था। इसने अहमदाबाद के युद्ध में अपनी बुद्धि और रणकुशलता का अच्छा परिचय दिया। यह हमेशा महाराजा का कृपा-पात्र रहा । विजयसिंह यह अांबेर के महाराजा विष्णुसिंह का द्वितीय पुत्र और भामेरपति सवाई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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