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________________ [ ६२ ] का शासन कर उसने पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लिया था और अधिकतर शाहजहाँ के पास ही रहता था । ई० स० १६५८ के उत्तराधिकार युद्ध में पराजित होकर भागा किन्तु श्रौरंगजेब के सहयोगियों द्वारा पकड़ा जाकर कैद कर दिया गया और अन्त में उसकी हत्या कर दी गई । दुरगादास ( राठौड़ वीर दुर्गादास ) - राठौड़ वंश के इतिहास में वीर दुर्गादास का नाम अमर रहेगा । इस वोर ने मुगल सम्राट औरंगजेब के द्वारा मारवाड़ का राज्य खालसे किये जाने पर औरंगजेब से कई युद्ध कर मारवाड़ का राज्य सुरक्षित रख कर अपनी असामान्य वीरता और रण चातुरी के अतिरिक्त प्रादर्श स्वामिभक्ति और देशप्रेम का परिचय दिया। इसका पिता ग्रासकरण महाराजा जसवन्तसिंह की नौकरी करता था । इसकी माता से प्रेम न होने के कारण दोनों मां-बेटे श्रासकरण से पृथक् लुणावा गांव में रहते थे । कुछ दिन बाद महाराजा ने दुर्गादास को भी अपनी सेवा में रख लिया । यह जसवन्तसिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र जीतसिंह को शाही सेना के घेरे से निकाल कर मारवाड़ ले आया और समय ग्राने पर अजीतसिंह को मारवाड़ राज्य का अधिकारी बनाया । वीर दुर्गादास की मृत्यु उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे पर हुई । दौलत खां यह नागौर का शासक ( नबाब ) था । राव गाँगा के चाचा शेखा ने इसकी ( खाँजादा दौलत खां ) सहायता से वि. सं. १५८५ ( ई० सन् १५२६) में जोधपुर पर चढ़ाई की । इसका समाचार मिलते ही गांगा ने सेवकी (गांव) तक आगे बढ़ कर उसका सामना किया। युद्ध होने पर 'शेखा' मारा गया और दौलत खां भाग कर नागौर चला गया । द्वारकादास दधवाड़ियौ प्रसिद्ध कवि माधोदास दधवाड़िया का पुत्र तथा जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह का कृपा पात्र और राज्य में प्रतिष्ठित मुसाहिब भी था । इसने पिता की भांति डिंगल के श्रेष्ठ कवियों में स्थान प्राप्त किया था। इसने महाराजा श्रजीतसिंह के जीवनकाल में ही वि. सं. १७७२ में 'महाराजा अजीतसिंह री दवावेत' नामक ग्रंथ की रचना की । इससे प्रसन्न होकर महाराजा ने इसको जैतारण तहसील का बासनी गांव प्रदान किया। इसकी अन्य फुटकर रचनाएँ भी प्राप्त होती हैं । यह जैसा कवि था वैसा ही वीर भी । यह अहमदाबाद के युद्ध में महाराजा अभयसिंह के साथ था और वहां युद्ध में बड़ी बहादुरी के साथ लड़ा और घायल हो कर बच गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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