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________________ [ ३७ ] गजसिंघ हरी भारी गुमर, सरब करै प्रसपक सुरंग । पतिसाह हुवो 'अजमाल' पह. दिली जेम तारा दुरंग ॥ सू. प्र. भाग २, पृ. ६६ कवि के कथनानुसार बादशाह मुहम्मदशाह ने मुजफ्फरअली खां को तीस हजार शाही सेना के साथ महाराजा का दमन करने के लिये अजमेर की ओर भेजा था, यथा मंगळ क्रोध महमंद, साह प्रजळ दळ सब्बळ । खेधक मुदफरखांन, मुगळ तेड़ियौ महाबळ । तोरा फील तुरंग, बगसि पारबां खजांनां । तीस सहस ताबिन, असुर दळ दीघ अमांनां । मुरतबो , हजारी हफत महि, पान ग्रहतां पावियो । इम विदा होय मुदफरअली, 'अजण' भूप दिस प्रावियो । सू.प्र. भाग २. पृ.६७ कवि ने आगे फिर संकेत किया है कि मुजफ्फरअली खां के साथ तीस हजार की सेना थी, यथा भजि गया बिण गज भार, हय थाट तीस हजार । मिट लाज छाडि गुमांन, खडि गयो मुदफरखांन ॥ सू. प्र. भाग २, पृ. १०२ इतिहासकारों के मतानुसार मनोहरपुर पहुँचते-पहुँचते मुजफ्फरअली खां के पास केवल बीस हजार सेना जमा हो पाई थी।' बादशाह द्वारा महाराजा अभयसिंह को सेना के लिये व्यय प्रादि देना ग्रंथानुसार महाराजा अभयसिंह को सर बुलन्द के विरुद्ध दिल्ली से विदा होते समय बादशाह मुहम्मदशाह ने उन्हें ताज, खंजर, तलवार, घोड़ा, हाथी तथा तोपखाने के साथ सेना के व्यय के लिये इकतीस लाख रुपये दिये। ___ अन्य इतिहासकारों के अनुसार वि० सं० १७८६ में बादशाह मुहम्मदशाह ने महाराजा को अन्य उपहारों के अतिरिक्त सेना के व्यय के लिये १८ लाख रुपये और छोटी-बड़ी पचास तोपें दी । 9 (प्र) डॉ. गौरीशंकर हीराचंद प्रोझा द्वारा लिखित राजपूताने का इतिहास, भाग २, पृष्ठ ५६३ । (मा) पं० विश्वेश्वरनाथ रेऊ द्वारा लिखित मारवाड़ का इतिहास, भाग १, पृष्ठ ३२१ । २ (अ) Orient Longman : History of Gujrat (Commassariat). [शेष टिप्पणी पृष्ठ ३८ पर] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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