SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ३६ ] था । बहुत से इतिहासकारों ने इस अवसर पर महाराजा और सर बुलन्द का परस्पर पगड़ी -बदल भाई बनने का उल्लेख किया है । महाराजा द्वारा कंथाजी श्रादि मरहठों को परास्त करना उज्जैन, सूरत श्रादि के शासक कंथाजी, पीलूजी प्रादि गुजरात में चौथ वसूल करने के लिये अहमदाबाद की ओर बढ़े, किन्तु महाराजा की सेना से परास्त होकर कंथाजी भाग गया । ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार कवि के इस कथन की पुष्टि होती है और यह जाना जाता है कि महाराजा ने पीलूजी को, जो कंथाजी के स्थान पर चौथ वसूल करने के लिये अहमदाबाद की ओर बढ़ रहा था, अपने एक योद्धा लखधीर ईंदा को भेज कर धोखे से मरवा डाला । बादशाह की प्रोर से महाराजा को उपहार भेजना बादशाह मुहम्मदशाह के दरबार में महाराजा का वकील अमरसिंह भंडारी रहता था । उसने बादशाह को सर बुलन्द के परास्त होने और गुजरात पर महाराजा द्वारा पुनः शाही हुकूमत कायम करने की खबर सुनाई। इस पर बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने भरे दरबार में वाह-वाह शब्दों के साथ महाराजा की प्रशंसा की तथा महाराजा का मनसब आदि बढ़ाने के साथ उनके राज्य की वृद्धि की । कवि के उक्त कथन की पुष्टि भी ऐतिहासिक दृष्टि से होती है । बादशाह असदुल्ला खां गुर्ज़बर्दार के साथ महाराजा के लिये उपहार स्वरूप रत्नजटित सिरपेच, कलंगी, एक हाथी तथा खिलत आदि भेजे । ' सेनाएँ कविराजा करणीदान ने ग्रंथ में सेनाओं के प्रांकड़े बहुत कम दिये हैं । महाराजा अभयसिंह और उनसे सम्बन्धित पात्रों की सेनाओं के आंकड़े यत्र-तत्र दिये हैं । उनकी ऐतिहासिक प्रामाणिकता के बारे में आगे विचार किया जायगा । मुज़फ्फर अली खां की सेना वि० सं० १७७८ ( ई० स १७२१ ) में महाराजा अजीतसिंह बादशाह के समान शाही ठाट-बाट से अजमेर में रहने लगे, यथा १ डॉ० गोरीशंकर हीराचन्दं श्रोझा द्वारा लिखित राजपूताने का इतिहास, भाग २, पृष्ठ ६२८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy