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निशीथ-छेदसूत्रम् -१-५/३५०
[भा.२००९] अयमाइ आगरा खलु, जत्तियमेत्ता य आहिया सुत्ते।
तेसू असनादीनि, गेण्हंताऽऽणादिणो दोसा ।। [भा.२०१०] मंगलममंगले वा, पवत्तण निवत्तणे यथिरमथिरे।
दोसा निव्विसमाणे, इमे य दोसा निविट्ठम्मि। चू- इमे य दोसा निविटे[भा.२०११] पुढवि-ससरक्ख-हरिते, सचित्ते मीसए हिए संका।
सयमेव कोइ गिम्हति, तन्नीसाए अहव अन्ने॥ चू-नवग-निवेसे असत्थोवहता सचित्तपुढवी । अहवा - धाउ - मट्टिता खता ताए हत्या खरंटिता, ससरक्खेण वा हत्थेण देज, नवग-निवेसेवा हरियसंभवो, सचित्तमीसस्स । तत्थ अन्नेन सुवण्णातिते हरिते साहू संकिजति । - अहवा - कोइ संजतो लुद्धो उन्निक्खमिउकामो सयमेव गेण्हति । अहवा - साहुनिस्साते अन्नो कोइ गेण्हति।ना आसंकाएगेण्हण-कट्टणातिया दोसा। जम्हा एते दोसा तम्हा नवगनिवेसेसु नोगेण्हेज ॥
कारणे गेण्हेजा वि[भा.२०१२] असिवे ओमोयरिए, रायपुढे भए व गेलण्णे।
__ अद्धाण रोहए वा, जतणा गहणं तु गीतत्थे ॥ मू. (३५१) जे भिक्खू मुह-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति।। मू. (३५२) जे भिक्खू दंत-वीणियं करेइ, करेंत वा सातिजति ।। मू. (३५३) जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिञ्जति ।। मू. (३५४) जे भिक्खू नासा-चीणियं करेइ, करेंत वा सातिजति ।। मू. (३५५)जे भिक्खू कक्ख-वीणियं करेइ, करेंत वा सातिजति ।। मू. (३५६) जे भिक्खू हत्थ-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिञ्जति ।। मू. (३५७) जे भिक्खू नह-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिञ्जति ।। मू. (३५८) जे भिक्खू पत्त-वीणियं करेइ, करेंत वा सातिजति ।। मू. (३५९) जे भिक्खू पुप्फ-वीणियं करेइ, करेंत वा सातिञ्जति ॥ मू. (३६०) जे भिक्खू फल-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ॥ मू. (३६१) जे भिक्खू बीय-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ।। मू. (३६२)जे भिक्खू हरिय-वीणियं करेइ, करेंत वा सातिजति ।। मू. (३६३) जे भिक्खू मुह-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिञ्जति ।। म.(३६४)जे भिक्ख दंत-वीणियं वाएइ, वाएंतंवा सातिजति ।। मू. (३६५)जे भिक्खू उट्ट-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिजति ।। मू. (३६६) जे भिक्खू नासा-वीणियं वाएइ, वाएतं वा सातिजति ।। मू. (३६७) जे भिक्खू कक्ख-वीणियं घाएइ, वाएंतं वा सातिजति ।। मू. (३६८)जे भिक्खू हत्थ-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिञ्जति ।।
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